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ब्रेकिंग ब्लंडर : देश की बेवफाई की राजधानी

राजेश विक्रांत

किसी शायर ने कहा है- दिल से दुआ है यह दिल किसी पर ना आए, बेवफाओं का शहर है जाने कब दगा दे जाए। कौन है बेवफाओं का शहर, क्या आपको पता है? नहीं पता होगा। इस शहर का नाम बेवफाई के बारे में टॉप पर है, ये किसी को सपने में भी अंदाजा नहीं होगा। आई टी राजधानी के रूप में मशहूर, बतौर हिंदुस्थान की सिलिकॉन वैली बंगलुरु अब देश का बेवफा शहर भी बन गया है। बंगलुरु में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि इसने शहर को ‘देश की बेवफाई की राजधानी’ का तमगा दे दिया गया है। बंगलुरु को यह उपलब्धि हासिल हुई है ग्लीडेन की बदौलत। बेवफाई यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को समर्पित दुनिया का सबसे पहला ऐप है ग्लीडेन। इस डेटिंग डेटिंग ऐप को २००९ में एक प्रâांसीसी महिला ने महिलाओं की जरूरत के मद्देनजर ईजाद किया था। ऐप और वेबसाइट का प्रबंधन भी महिलाएं देखती हैं। महिलाओं के लिए ऐप प्रâी है, लेकिन पुरुषों को इसकी मेंबरशिप के लिए पैसे देने पड़ते हैं।
देखते ही देखते ये कारोबार चल निकला। दिन दूनी, रात चौगुनी रफ्तार से लोकप्रियता के माउंट एवरेस्ट पर पहुंच गया। बेवफाई का कारोबार होता ही ऐसा है। इससे बोरियत उड़नछू हो जाती है और लाइफ के फुल टू धमाल का चांस बन जाता है। हम इश्क में वफा करते- करते बेहाल हो गए और वो बेवफाई करके भी खुशहाल हो गए।
पूरी दुनिया में ग्लीडेन के यूजर्स सवा करोड़ से ज्यादा हैं। इसमें तकरीबन ३० लाख यूजर्स अकेले हिंदुस्थान से हैं। उसमें भी बंगलुरु वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, जिसके सौजन्य से बंगलुरु देश का बेवफा शहर बन गया है और बंगलुरु में ग्लीडेन मतलब बेवफाई कहा जाने लगा है।
हमें यह भी गर्व होना चाहिए कि हमारे देश के हर शहर में ये ऐप प्रचलित है। इनमें ६६ फीसदी यूजर्स टियर-१ शहरों के हैं, जबकि ३४ फीसदी टियर-२ और ३ शहरों के हैं। यानी इस डेटिंग ऐप की पहुंच न सिर्फ मुंबई, बंगलुरु, दिल्ली, कोलकाता जैसे बड़े शहरों तक है बल्कि मेरठ, भोपाल, पटना जैसे शहरों में भी इसके दीवाने हैं। ऐप के ग्राहक बंगलुरु, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, जयपुर, भोपाल, इंदौर, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, गुरुग्राम, अमदाबाद, चंडीगढ़, लखनऊ, कोच्चि, नोएडा, गुवाहाटी, विशाखापट्टनम, नागपुर, सूरत और भुवनेश्वर तक पैâले हुए हैं। इसमें पुरुषों के साथ महिलाओं की भी एक अच्छी संख्या है। नारी शक्ति की जय हो।
ऐप पर बंगलुरुवासी रोजाना औसतन दो घंटे समय बिताते हैं। ऐप यूज करने का उनका समय १२-३ बजे यानी कि लंच के समय या १० से आधी रात होता है। ऐप पर जहां पुरुष २४-३० वर्ष की महिलाओं को, वहीं महिलाएं ३१-४० वर्ष की उम्र वाले पुरुषों को तलाशती हैं।
जियो बंगलुरुवासियों, आप लोगों ने हिंदुस्थान का सर गर्व से ऊंचा कर दिया। आप लोगों ने बंगलुरु की बेवफाई को दुनियाभर में मशहूर कर दिया है। अगर आप चाहें तो बासमती चावल, बीकानेरी भुजिया, इलाहाबादी अमरूद की तरह बंगलुरु बेवफाई को जी आई टैग दिलवाने के लिए कर्नाटक सरकार प्रयास कर सकती है।
ग्लीडेन ऐप फ्रांस में २००९ में लांच हुआ था। हिंदुस्थान में इसके चरण २०१७ में पड़े। इसकी वजह से बंगलुरु के पर्यटन स्थलों में भीड़ भी बढ़ी है। एक सर्वे के मुताबिक हलासुरु सोमेश्वर, कब्बन पार्क बंगलुरु पैलेस, देवेनहल्ली फोर्ट, बनेरघाटा नेशनल पार्क व उलसूर झीलों के आस-पास अब बेवफाई का इतिहास लिखा जाने लगा है। इसका कारण घरेलू हिंसा, कम्युनिकेशन गैप, अटेंशन न मिल पाना, अकेलापन, बच्चे की जिम्मेदारी, शारीरिक असंतोष, भावनात्मक लगाव की कमी, कम उम्र में शादी हो जाना, दबाव में शादी, बेमेल शादी कर लेना, बुनियादी मूल्यों पर असहमति, जिंदगी की प्राथमिकताएं अलग होना, कॉमन इंटरेस्ट का न होना, रिश्ते में एक्साइटमेंट की कमी होना, करियर अचीवमेंट जैसे तमाम हो सकते हैं लेकिन इन वजहों से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर जन्मता है, यही तो सामाजिक विसंगति हैं। पर, सबसे बड़ा कारण तो लाइफ पार्टनर की शारीरिक जरूरतों का पूरा न होना है। एक सर्वे भी यही कहता है कि शादीशुदा हिंदुस्थानी महिलाओं की बेवफाई की ७७ फीसदी वजह नीरसता है। यानी लाइफ बोरिंग है, नीरस है, उबाऊ है। जिंदगी में कोई थ्रिल ही नहीं है। रोमांच गायब है। इसके अलावा हमारे देश में शादियां दो लोगों की मैचिंग या रुचि की बजाय परिवार की जरूरतों को ध्यान में रखकर की जाती हैं।
कैसे गलत कह दूं तेरी बेवफाई को,
यही तो है जिसने मुझे मशहूर किया है!
इसी धुआंधार बेवफाई की वजह से बंगलुरु मशहूर हो गया है। बंगलुरु के शादीशुदा लोग मशहूर हो गए हैं। लाइफ पार्टनर्स रिश्तों में एक-दूसरे की थोड़ी सी बेवफाई को नजरअंदाज या हजम कर रहे हैं। एक-दूसरे को चिढ़ाने या बदला लेने के भाव से भी पार्टनर ऐसा कर रहे हैं। भावनात्मक शांति पाने व तनाव खत्म करने के लिए भी लोग बेवफा बन रहे हैं। जय हो! बंगलुरु की।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)

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