श्रीकिशोर शाही
ये चुनाव की मोह-माया भी गजब की है। राजद के एक पूर्व सांसद सरफराज आलम का टिकट क्या कटा, वे खुले मंच पर ही रोने लगे। ऐसे में वहां मौजूद लोगों ने सरफराज को सांत्वना देकर उन्हें चुप कराया। अब पूर्व सांसद सरफराज के रोने का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। असल में वे अपने समर्थकों के साथ एक मीटिंग कर रहे थे। उसी क्रम में वे भावुक हो उठे और अपने पिता और पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री तस्लीमुद्दीन को याद करते हुए रो पड़े। वैसे इस बार राजद का टिकट सरफराज आलम के बदले उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम को मिला है। हालांकि, एक भाई का टिकट काटकर दूसरे भाई को दिया गया, पर सरफराज ने राजद सुप्रीमो सहित तेजस्वी पर अपनी भड़ास निकाली। बहरहाल, स्थानीय लोगों का कहना है कि सरफराज से उनके छोटे भाई बिल्कुल अलग हैं। छोटे भाई की छवि काफी साफसुथरी है। आरजेडी ने इसी वजह से उन्हें उम्मीदवार बनाया है।
चन्नी का खत्म हुआ इंतजार
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए लंबा इतजार करना पड़ा। वे अपने नाम की घोषणा होने का इंतजार कर रहे थे। हालांकि, आलाकमान ने उनसे कह दिया था कि चिंता की कोई बात नहीं है और आपका टिकट पक्का है, पर चन्नी को चैन कहां? सो वे दिल्ली का चक्कर लगा आए। दिल्ली में जब उनसे लोकसभा चुनाव लड़ने के बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं और पार्टी जहां से कहेगी, वहां से चुनाव लड़ूंगा, चाहे वो जालंधर हो या कोई और जगह। कुछ देर में चीजें साफ हो जाएंगी। इससे एक बात तो साफ हो गई कि चन्नी की नजरें जालंधर लोकसभा सीट पर लगी हुई थीं। चन्नी को पार्टी ने वैâप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर पंजाब का सीएम बनाया था। पार्टी को उम्मीद थी कि चन्नी कुछ कमाल करेंगे पर नतीजा सिफर रहा और ‘आप’ की आंधी में चन्नी का तंबू उड़ गया था। ऐसे में चन्नी दिल्ली की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रहे थे कि काश उनकी सुन ली जाए और लीजिए ऊपरवाले ने उनकी सुन भी ली। कांग्रेस ने जब पंजाब की छह सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की तो उनमें चन्नी का नाम भी शामिल था। इतना ही नहीं, उन्हें उनकी पसंद की सीट जालंधर से ही टिकट दिया गया।
हरिद्वार में हर-हर गंगे
इस चुनाव में कई नेताओं के टिकट कट गए हैं। हरिद्वार से भी दो बार के सांसद रहे डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट भाजपा ने काट दिया है। उनकी जगह पर भाजपा ने अपने अनुभवी व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने युवा चेहरे के तौर पर वीरेंद्र रावत को टिकट दिया है। इस बार हिंदुओं के इस प्रमुख तीर्थ क्षेत्र में गंगा का प्रदूषण प्रमुख मुद्दा है। इसके अलावा गंगा तीर्थ, चारधाम यात्रा, महाकुंभ, शक्तिपीठ मां मनसा देवी-चंडी देवी, हरकी पैड़ी, योग-आयुर्वेद और अध्यात्म नगरी के तौर पर पहचान रखने वाले हरिद्वार का चुनावी शोर अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है। इस बार भाजपा के प्रति यहां के लोगों में गुस्सा है, क्योंकि हरिद्वार में लगातार होने वाली बिजली कटौती से आम जनता के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र भी प्रभावित है। प्रदूषण की दृष्टि से भी हरिद्वार के लिए चुनौतीपूर्ण हालात हैं। यहां सीवरेज व्यवस्था ठीक न होने के कारण गंगा में प्रदूषण तो फैल ही रहा है। इसके अलावा तमाम औद्योगिक इकाइयां भूगर्भ जल को भी प्रदूषित कर रही हैं। यही वजह है कि २०१४ और २०१९ में लगातार दो बार यहां का प्रतिनिधित्व करनेवाली भाजपा के प्रति स्थानीय लोगों में गुस्सा है।