मनमोहन सिंह
उत्तराखंड में ‘हरदा’ के नाम से लोकप्रिय कद्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत इस वक्त कांग्रेस का स्टार चेहरा बने हुए हैं। उनका दावा है कि उत्तराखंड की जनता मोदी के मोहपाश से बाहर आ गई है और उत्तराखंड में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रस्तुत हैं ‘दोपहर का सामना’ के वरिष्ठ संवाददाता मनमोहन सिंह की हरीश रावत से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
कौन-कौन से महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन पर कांग्रेस को लगता है कि इस चुनाव में फायदा मिलेगा?
महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और कुशासन भाजपा के जमाने में शिष्टाचार बन चुका है। पार्टी दादागीरी पर उतर आई है, शासन रह कहां गया है? वह पंगु होता दिखाई दे रहा है। सरकार का हर जगह हस्तक्षेप है। इसके अलावा विकास चौपट है। हमारे समय में जो सुंदर सड़कें बनी थीं, उनमें अब गड्ढे ही गड्ढे हैं। गांवों की आर्थिक स्थिति और खराब होती जा रही है। मुद्दे ही मुद्दे हैं। भाजपा कहती कुछ करती कुछ है।
बेरोजगारी के मुद्दे को किस तरह सुलझाएंगे?
हमारे समय में हमने बेरोजगारी से निपटने के लिए बहुत सारी योजनाएं बनाई थीं। स्थानीय रोजगार को बढ़ाने के लिए हमने योजनाओं पर काम किया था, इन लोगों ने सत्ता में आते ही उन योजनाओं को बंद कर दिया। उसका परिणाम यह हुआ कि रोजगार घटे, बेरोजगारी बढ़ी और पलायन बढ़ा। गांव के गांव खाली हो रहे हैं। एक तरह का अजीब सा असंतुलन निर्माण हो रहा है। पहाड़ों के लोग नीचे आ गए हैं और नीचे शहरों में अनियोजित विकास दिख रहा है।
पलायन एक बड़ा मुद्दा है उत्तराखंड का…
इन्होंने पलायन आयोग बनाया, उसको काम सौंपा कि तुम अध्ययन करो कि लोग पहाड़ से नीचे क्यों आ रहे हैं मैदान में? पलायन आयोग का हेडक्वॉर्टर बनाया पहाड़ियों में पौड़ी में, ६ महीने में पलायन आयोग ही पलायन कर गया, मैदान में आ गया। इससे समझा जा सकता है कि कितनी गंभीर है यह सरकार, पलायन को रोकने के लिए। जनता सरकार की हकीकत समझ चुकी है। उनकी कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क है। मोदी जी के भाषण भी अब ग्रोमोफोन की रिकॉर्ड की तरह घिस गए हैं। वही घिसी-पिटी बातें हैं उनकी।
अग्निवीर के मुद्दे पर उत्तराखंड में भारी असंतोष दिख रहा है…
अग्निवीर के मुद्दे पर हमारा स्टैंड बिल्कुल साफ है। हम सैन्य परंपरा का सम्मान करते हैं। हम सेना में भरती की जो पुरानी परंपरा है, उसको बहाल करेंगे। नो अग्निवीर। अग्निवीर को हम अपनी सेना की महान परंपरा का अपमान मानते हैं। युवकों में निराशा है। इसके अलावा पूर्व सैनिक की इससे खफा हैं। उनकी अपनी और भी समस्याएं हैं, जिन्हें सरकार अनदेखा कर रही है। उनमें भाजपा के प्रति निराशा और असंतोष यह हमारे फेवर में ही है।
उत्तराखंड में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ता जा रहा है…
पहले आजीविका के लिए बेबसी का पलायन था अब जानवरों के डर से भी पलायन हो रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पलायन होता था। रोजगार के लिए पलायन होता था। अब जानवरों के डर से भी पलायन हो रहा है। गांव-जंगलों के बीच बसे हुए हैं। यहां ७०-७२ फीसदी जंगल है। जानवरों का आतंक प्रबल हो गया, जो पलायन का कारण है। हमारे पास इसका भी सॉल्यूशन है। हमारे समय में हमने सुअर मारने की अनुमति ले ली थी भारत सरकार से, हमने नीलगाय को लेकर भी यथोचित कदम उठाए थे। बंदरों के स्टरलाइजेशन के लिए बंदरवाड़े बनाए थे। हमने बहुत सारे कदम उठाए थे, जिससे जंगली जानवरों को उनका चारा उनका भोजन जंगल में ही मिल जाए। हमने उसकी व्यवस्था की थी, इन्होंने हमारी सारी योजनाएं बंद कर दीं, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जंगल की आग भी समस्या है। जंगलों में नमी बढ़ाने के उपाय किए थे, जिसकी वजह से आग नियंत्रित हो सकती थी। जंगलों में आग को लेकर भी हमने जो उपाययोजनाएं की थीं, उन्होंने उसे भी बंद कर दिया। ये सारी समस्याएं हमारे पहाड़ की हैं और हम उन्हें अच्छी तरह से समझते हैं।
प्रियंका के चुनावी दौरे से आपको क्या फर्क नजर आ रहा है?
प्रियंका गांधी की सभा में लोगों का समर्थन साफ साफ जाहिर करता है कि जनता अब भारतीय जनता पार्टी के मोहपाश से बाहर आ गई है। अब खुलकर उनके खिलाफ बात कर रही है जनता। देखिए जादू का असर कुछ समय के लिए ही रहता है, उसके बाद जादूगर की हकीकत मालूम हो जाती है। जादू के चोले के नीचे महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, वैमनस्य लोगों को नजर आ रहे हैं। हम मानकर चले रहे हैं कि पांच में से पांच सीट हमारे पास आ सकती है। हम बहुत ही अच्छी स्थिति में हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर बात करते हैं कि इंडिया गठबंधन किस हद तक सफलता प्राप्त करेगा और पीएम का चेहरा कौन होगा?
हमारी प्राथमिकता है कि हम बहुमत प्राप्त करें। इसलिए पीएम कौन होगा, यह सवाल फिलहाल उतना महत्वपूर्ण नहीं है। मुझे खुशी है कि गठबंधन के कुछ सहयोगी राहुल गांधी को पीएम के तौर पर देखते हैं। पार्टी ने तय किया है कि इस विषय पर तब बात होगी, जब बहुमत हासिल हो जाएगा, इसलिए हम भी इससे बंधे हुए हैं। फिलहाल, हमारी प्राथमिकता हमारे घोषणापत्र में झलकती है, जिसमें पर्यावरण का उल्लेख है। कांग्रेस पहली पॉलिटिकल पार्टी है, जिसने पर्यावरण को गंभीरता से लिया है। इससे हिमालय के क्षेत्रों में असर पड़ता है। हमने हिमालय के क्षेत्रों को विशेष दर्जा देने की बात भी अपने मेनिफेस्टो में कही है।