मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : पूर्व भाजपा विधायक ‘हाथ’ के साथ

झांकी : पूर्व भाजपा विधायक ‘हाथ’ के साथ

अजय भट्टाचार्य

ऐसे समय में जब चुनावी राज्य पूर्वोत्तर में अन्य दलों के नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं, कुछ भाजपा नेता, जिनमें एक पूर्व विधायक भी शामिल है, कथित तौर पर धमकी के चलते संघर्षरत मणिपुर में कांग्रेस में शामिल हो गए। पूर्व विधायक एलंगबाम चंद सिंह और तीन अन्य भाजपा नेता राज्य की राजधानी इंफाल में इनर मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार अंगोमचा बिमोल अकोईजम की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए। अरामबाई टेंगोल जैसे कट्टरपंथी संगठनों ने कथित तौर पर `प्रचार नियमों’ का एक सेट जारी करके राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार ने ऐसे आदेशों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। मणिपुर में भाजपा नेताओं के कांग्रेस में जाने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में असम में कुछ पूर्व विधायकों के बेटे और बेटियों ने कांग्रेस में शामिल होने का पैâसला किया है।

बागी अंदाज से भाजपा परेशान
उत्तर प्रदेश की राजनीति में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षत्रिय समाज के नेताओं ने अचानक जो बागी अंदाज दिखाया है, उससे भाजपा में हलचल मच गई है। पार्टी इस तरह के किसी विरोध के जवाब में यही तर्क देती नजर आ रही है कि पार्टी ने संगठन, विधानसभा और विधान परिषद में क्षत्रियों को पर्याप्त हिस्सेदारी दे रखी है। पर नाराजगी कम होने की जगह क्षत्रियों ने मेरठ और मुजफ्फरनगर में महापंचायत कर भाजपा की परेशानी और बढ़ा दी है। इसके बाद भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि पश्चिमी यूपी से उठी विरोध की लहरें पूर्वांचल की राजनीति को भी न प्रभावित करें, ये तय करना पार्टी के लिए जरूरी है। पूर्वांचल में पहले से ही क्षेत्र विशेष में कई क्षत्रिय नेताओं का प्रभाव रहा है। बृजभूषण शरण सिंह, धनंजय सिंह, रघुराज प्रताप सिंह `राजा भैया’ जैसे नेताओं के प्रभाव और सियासी दबाव को कई बार बीजेपी ने महसूस किया है। अब ऐन चुनाव के समय इसी की चिंता हो सकती है कि ये नाराजगी कहीं पूर्वांचल तक न पैâले, जहां के जातीय समीकरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुकाबले पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। खासकर जौनपुर लोकसभा सीट पर धनंजय सिंह की गिरफ्तारी और गिरफ्तारी में ही धनंजय द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा से भाजपा की दशा और दिशा को भ्रमित कर दिया है। लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण के मतदान में सिर्फ ५ दिन का समय बाकी रह गया है। ऐसे में पश्चिम यूपी में क्षत्रिय संगठनों की नाराजगी ने भाजपा रणनीतिकारों की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी जहां स्थिति का आकलन करने में जुटी है वहीं ये नाराजगी पूर्वांचल तक न पैâले इसके लिए भी मंथन शुरू हो गया है। क्षत्रिय संगठनों ने भाजपा पर क्षत्रिय समाज का राजनीतिक प्रतिनिधित्व घटाने और उनके महत्व को कम करने का आरोप लगाया है।

गुजरात में बौद्ध बने हिंदू
गुजरात के सुरेंद्र नगर में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती वाले दिन एक कार्यक्रम में लगभग ५० हिंदुओं ने बौद्ध धर्म अपना लिया है। धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों ने इससे पहले स्थानीय प्रशासन के पास इसके लिए आवेदन किया था। बता दें इससे पहले भी अक्टूबर २०२३ में अमदाबाद में हुए एक कार्यक्रम में करीब ४०० हिंदू लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया था। सुरेंद्रनगर जिले में पिछले एक साल में करीब १०० लोगों ने धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन किया है। हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म में जाने वाले लोगों का आरोप था कि आज भी गुजरात के देहात इलाके में अनुसूचित जाति के युवाओं को दाढ़ी-मूंछ रखने की इजाजत नहीं है। आरोप है कि अनुसूचित जाति के लोगों के साथ भेदभाव होता है और उन्हें घोड़े तक पर चढ़ने की अनुमति नहीं है। जिन लोगों ने रविवार को बौद्ध धर्म अपनाया उन्होंने करीब एक माह पूर्व इस बारे में स्थानीय कलेक्टर कार्यालय में अपने आवेदन जमा किए थे। दीक्षा लेने वाले लोगों का कहना था कि वे बौद्ध धर्म में शामिल हुए। इस धर्म में जातिगत भेदभाव के विपरीत सभी को समानता की दृष्टि से देखा जाता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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