मुख्यपृष्ठनए समाचारउत्तराखंड और चुनाव : चुनाव से परेशान दूल्हा-दुल्हन और बाराती!

उत्तराखंड और चुनाव : चुनाव से परेशान दूल्हा-दुल्हन और बाराती!

लोकसभा चुनाव के चलते उत्तराखंड में इस वक्त शादियों को लेकर काफी दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। वजह है दूल्हा और दुल्हन दोनों ही पक्ष के लोगों को बारातियों के लिए वाहनों का न मिलना। क्योंकि अधिकतर गाड़ियां लोकसभा चुनाव के लिए बुक हो चुकी हैं। लोग अनुमति के लिए परिवहन विभाग के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं। सिर्फ अल्मोड़ा जिले में अब तक ८६ लोगों ने बारात के लिए वाहनों की अनुमति देने के लिए परिवहन विभाग से गुहार लगाई है।
इस वक्त वेडिंग सीजन चल रहा है और बारातियों के आने-जाने के लिए गाड़ियां एकमात्र साधन हैं पहाड़ों में। अगर उत्तराखंड के १४ जिलों में से एक जिला अल्मोड़ा की ही बात की जाए तो जिले की छह विधानसभा सीट पर पोलिंग पार्टियों को मतदान केंद्र तक पहुंचाने और लाने के लिए ५३३ यात्री वाहनों का अधिग्रहण किया गया है। इसमें २११ रोडवेज, के एम यू बस और ३२२ टैक्सी शामिल हैं। वहीं पुलिस विभाग ने परिवहन विभाग को फोर्स को लाने और छोड़ने के लिए ३१२ वाहनों की मांग की है, इनके अधिग्रहण में विभाग जुटा है। परिवहन विभाग के अनुसार, रिजर्व के लिए भी १० फीसद वाहनों का अधिग्रहण किया गया है। ये सभी वाहन १६ से २० अप्रैल तक चुनाव ड्यूटी में तैनात रहेंगे। मतदान तिथि पर १९ अप्रैल को जिले भर में १२० से अधिक वैवाहिक कार्यक्रम होने हैं। दुल्हन के घर आवाजाही करने के लिए दूल्हा पक्ष को वाहन मिलने मुश्किल हो गए हैं।
हालात इस कदर हो गए हैं कि दूल्हा, दुल्हन लेने के लिए कितने बारातियों के साथ ले जाएगा इसका निश्चय दूल्हा पक्ष नहीं बल्कि परिवहन विभाग करेगा। क्योंकि यह इस बात पर तय करेगा कि दूल्हे पक्ष को बारातियों के लिए कितने वाहनों की अनुमति मिलेगी।
अधिकतर केएमयू की बस और टैक्सी वाहनों का लोकसभा चुनाव के लिए बुक किया गया है। ऐसे में १६ से २१ अप्रैल तक यात्रियों के वाहनों की संख्या सीमित रहेगी। ऐसे में लोकसभा चुनाव की ड्यूटी से छूटे वाहनों के मालिक दूल्हा पक्ष की मजबूरी का जमकर फायदा उठा रहे हैं। एक दूल्हा पक्ष से जुड़े व्यक्ति के अनुसार, जिले के आंतरिक हिस्सों में वैवाहिक कार्यक्रम के लिए एक टैक्सी वाहन का किराया ढाई से ४,००० रुपए तक लिया जाता था। अब चार से ८,००० रुपए किराया मांगा जा रहा है, इसे चुकाना मजबूरी है।
यह कहानी सिर्फ एक जिले की है। उत्तराखंड के १४ जिलों में कमोबेश हालात इसी तरह हैं। यदि एक जिले में ८० विवाह की जगह ७० विवाहों का ही अंदाजा भी लगाया जाए तो तकरीबन ९०० के करीब शादियां प्रभावित हुई हैं। इसमें दो राय नहीं कि यह सभी दूल्हा-दुल्हन और बाराती २०२४ के लोकसभा चुनाव को जिंदगी भर याद रखेंगे। उत्तराखंड के वेडिंग के इस रंग भरे सीजन में चुनाव ने भंग डाल दिया है। इसके अलावा तीर्थ यात्रा पर निकले यात्रियों और टूरिस्ट को भी इस बात का खामियाजा उठाना पड़ रहा है।

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