सामना संवाददाता / मुंबई
दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होनेवाला चौथा सबसे आम कैंसर है। हिंदुस्थान में तो ब्रेस्ट कैंसर के बाद यह महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर बन गया है। अगर शुरुआत में ही इसकी पहचान हो जाए तो सर्वाइकल कैंसर को आसानी से रोका जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ३५ साल से अधिक उम्र की महिलाओं को इस कैंसर की जांच कराने की सलाह दी है। हालांकि, जांच के लिए संसाधन काफी कम है और प्राइवेट सेक्टर में सर्वाइकल कैंसर की जांच बहुत महंगी है। इसी को देखते हुए हिंदुस्थान में सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए स्वदेशी किट विकसित की गई है। आईसीएमआर, राष्ट्रीय प्रजनन व बाल स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान और राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम व अनुसंधान संस्थान ने किट विकसित की है। एम्स दिल्ली समेत इन तीनों संस्थानों में इस किट का ट्रायल शुरू हो गया है।
एम्स में मरीजों पर किट के ट्रायल के लिए आज से एक रिसर्च सेंटर भी चालू कर दिया गया है। इस रिसर्च सेंटर में किट के माध्यम से महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जांच की जाएगी। किट ट्रायल में अगर सफल हो जाती है तो इस साल के अंत तक देश में सर्वाइकल कैंसर की सबसे सस्ती टेस्ट किट उपलब्ध होने की उम्मीद है। यह किट अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार की गई है। इस किट के जरिए सर्वाइकल कैंसर पैदा करनेवाले एचपीवी जीनोटाइप का पता लगा सकते हैं। इस ट्रायल के सफल होने के बाद लाखों महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के संकट से छुटकारा दिलाने में मदद करेगी। बता देंं कि सर्वाइकल कैंसर के अधिकतर केस आखिरी स्टेज में सामने आते हैं। इस कैंसर से दुनियाभर में हर दो मिनट में एक महिला की मौत हो जाती है। सर्वाइकल कैंसर होने के बाद ५० फीसदी से अधिक मामलों में मरीज की मौत हो जाती है। देश में हर साल इस कैंसर के १२७,५२६ नए मामले आते हैं और इनमें से ७९,९०६ महिलाओं की मौत हो जाती है।
६० मिनट में हो जाएगा टेस्ट
किट से ६० से ९० मिनट में कैंसर की जांच हो जाएगी। इससे सर्वाइकल कैंसर की जांच बहुत सस्ती हो जाएगी। विदेशों में बनी एचपीवी जांच किट की कीमत १,५०० से २,००० रुपए के बीच है। इसकी तुलना में स्वदेशी किट बहुत सस्ती होगी। इस किट से महिलाएं ३५ और ४५ वर्ष की उम्र में दो बार स्क्रीनिंग करा सकेंगी। इससे समय पर सर्वाइकल कैंसर की पहचान हो जाएगी और इलाज आसानी से हो सकेगा।
वैक्सीन है मौजूद
सर्वाइकल वैंâसर से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन मौजूद है। ९ से १४ साल की बच्चियों को ये वैक्सीन लगवाई जा सकती है। हालांकि, इस उम्र के बाद भी टीका लगवाया जा सकता है, लेकिन महिलाओं को सेक्सुअली एक्टिव होने से पहले इस वैक्सीन को लगवाने की सलाह दी जाती है, ताकि अगर शादी के बाद वायरस पैâले भी तो वैक्सीन उसके प्रभाव को रोक दे।