मुख्यपृष्ठनए समाचारपहले चरण का चुनाव प्रचार थमा...जाट और मुस्लिम नेताओं की साख दांव...

पहले चरण का चुनाव प्रचार थमा…जाट और मुस्लिम नेताओं की साख दांव पर!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में यूपी की आठ लोकसभा सीटों पर बुधवार की शाम प्रचार का शोर थम गया। पश्चिमी यूपी में आने वाली इन सीटों से बहने वाली हवा ही पूरे यूपी का रुख तय करेंगी। इन सीटों पर शुक्रवार 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। सभी आठ सीटें पश्चिमी यूपी में आती हैं। इस बार यहां का समीकरण बदला हुआ है। पिछले दो चुनाव से सपा के साथ मिलकर लड़ रही रालोद इस बार भाजपा के साथ है।
बसपा अकेले ही मैदान में उतरी हुई है। इस इलाके का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि खुद अमित शाह यहां पर रह कर रणनीति बनाने आए थे। कांग्रेस ने भी अंतिम दिन बुधवार को प्रियंका गांधी को मैदान में उतार दिया। पहले चरण में सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना (सु.), मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत लोकसभा क्षेत्रों में वोटिंग होनी है। इंडिया की तरफ से आठ में से सात सीटों पर सपा और एक सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी उतरा है। एनडीए की तरफ से सात सीटों पर भाजपा और एक सीट पर रालोद का प्रत्याशी है। बसपा ने सभी आठ सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। पहले चरण की इन सभी लोकसभा सीटों के लिए 80 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इसमें 73 पुरुष और 7 महिला उम्मीदवार हैं। पश्चिम यूपी की सियासत में कई ऐसे परिवार हैं, जिनकी कई पीढ़ियां राजनीति में रहीं। अखिलेश सरकार में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के बाद एक बार फिर जाट क्षत्रप जयंत चौधरी और मुस्लिम नेता आमने-सामने हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि अब मतदान की समाप्ति तक किसी भी प्रकार की चुनाव प्रचार के बाहरी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की निर्वाचन क्षेत्र में मौजूदगी प्रतिबंधित रहेगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रथम चरण की आठ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है। इसके लिए मतदान समाप्त होने से 48 घंटे पहले यानी 17 अप्रैल शाम छह बजे तक ही प्रचार का समय निर्धारित किया गया था। चुनाव प्रचार अभियान की समाप्ति के बाद निर्वाचन क्षेत्र के सभी जिला निर्वाचन अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे सभी बाहरी राजनैतिक पदाधिकारी व कार्यकर्ता इस दौरान निर्वाचन क्षेत्र छोड़ दें और इसके लिए मतदान से पहले चुनाव प्रचार पर रोक संबंधी आयोग का निर्देश सभी राजनैतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और उनके एजेंटों के ध्यान में लाएं।
पीलीभीत में त्रिकोणीय मुकाबला- यहां दस प्रत्याशी मैदान में हैं और इस बार त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे रहा है। यहां पर एनडीए, इंडिया और बसपा के साथ ही कुल दस प्रत्याशी मैदान में हैं। एनडीए की तरफ से भाजपा ने मौजूदा सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री जतिन प्रसाद को उतारा है। इंडिया की तरफ से सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार मैदान में है। बसपा ने अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू पर दांव लगाया है। अभी तक पीलीभीत में दूसरे या तीसरे चरण में वोटिंग होती रही है। इस बार पहले चरण में हो रही है।
मुरादाबाद में भाजपा ने सर्वेश सिंह, सपा ने रुचि वीरा और बसपा ने इरफान सैफी को उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है। यहां से पहले सपा ने मौजूदा सांसद एसटी हसन को उतारा था। अंतिम दिन हेलिकॉप्टर से सिंबल मंगाकर रुचि वीरा पर दांव लगा दिया गया है। बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर इंडिया गठबंधन खासकर सपा की परेशानी बढ़ा दी है।
रामपुर में तीन दशक बाद इस बार आजम के परिवार या उनका कोई भी करीबी चुनावी मैदान में नहीं है। सपा ने इस बार रामपुर से दिल्ली के इमाम मोहिबुल्ला नदवी पर दांव लगाया है। भाजपा की तरफ से घनश्याम सिंह लोधी पर दोबारा भरोसा जताया गया है। यहां भी बसपा ने जीशान खान को उतारकर सपा के वोट बैंक में सेंघ लगाने की कोशिश की है। उपचुनाव में पहली बार सपा ने इस सीट को जीता था। इस बार सीट बरकरार रखने के लिए योगी दो बार यहां प्रचार के लिए आ चुके हैं।
सहारनपुर में इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस ने इमरान मसूद को उतारा है। भाजपा की तरफ से राघव लखनपाल और बसपा ने माजिद अली को टिकट दिया गया है। इमरान मसूद राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखते हैं। उनके चाचा मरहूम काजी रशीद मसूद पांच बार लोकसभा और 4 बार राज्यसभा सदस्य रहे थे। 2007 के चुनाव में वह उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन के उम्मीदवार भी थे। गंगोह नगर पालिका परिषद पर ज्यादातर इसी परिवार का कब्जा रहा है। सहारनपुर से भाजपा प्रत्याशी राघव लखनपाल शर्मा हैं। राघव लखनपाल का भी खानदानी सियासी है। 1970 से परिवार भी सक्रिय राजनीति में है।
कैराना से भाजपा ने प्रदीप चौधरी, सपा ने इकरा हसन, बसपा ने श्रीपाल राणा को उतारा है। कैराना से सपा प्रत्याशी इकरा हसन कैराना के पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी और कैराना सपा विधायक नाहिद हसन की छोटी बहन हैं। इकरा हसन की मां भी सांसद रह चुकी हैं। भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी 2019 में चुनाव लड़े थे और बड़ी जीत हासिल की थी। प्रदीप चौधरी राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखते हैं। प्रदीप चौधरी सहारनपुर की गंगोह सीट से दो बार के विधायक व एक बार नकुड़ से विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं।
मुजफ्फरनगर में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, सपा ने हरेंद्र मलिक और बसपा ने दारा सिंह प्रजापति पर दांव लगाया है। उनके बेटे पंकज मालिक विधायक हैं। क्षत्रिय आंदोलन और भाजपा के ही पूर्व विधायक संगीत सोम के बालियान को लेकर बगावती सुर के कारण यहां का चुनाव रोचक हो गया है।
बिजनौर सीट एनडीए गठबंधन में रालोद के खाते में यह आ गई है। रालोद ने यहां से चंदन चौहान को उतारा है। सपा ने दीपक सैनी और बसपा ने चौधरी विजेंद्र सिंह को टिकट दिया है। बिजनौर सीट से विधायक चंदन चौहान (मीरापुर) रालोद (एनडीए गठबंधन) के प्रत्याशी है। नगीना सीट यूपी में अकेली ऐसी सीट है, जहां मुकाबला चतुष्कोणीय दिखाई दे रहा है। यहां पर भाजपा, सपा-बसपा के साथ ही आजाद पार्टी के अध्यक्ष और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर मैदान में हैं। भाजपा ने ओमकुमार, सपा ने मनोज कुमार और बसपा ने सुरेंद्र पाल सिंह को उतारा है। चंद्रशेखर पहले सपा के साथ उतरने वाले थे, बाद में अकेले ही उतरे। ऐसे में किसको नुकसान पहुंचाएंगे यह तो 4 जून को ही पता चलेगा।

अन्य समाचार