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टीबी पेशेंट की बढ़ी परेशानी …भिवंडी में दवा की कमी से जूझ रहे १,२८६ मरीज!

सामना संवाददाता / भिवंडी

राज्य में शिंदे सरकार के राज में टीबी दवा की कमी हो गई है। इस कारण भिवंडी मनपा स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है, जिसके कारण उक्त मरीज से पीड़ित लोगों को खुद के खर्च से दवा खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि वर्ष २०२५ तक केंद्र सरकार द्वारा टीबी रोग मुक्त भारत का सपना कैसे साकार होगा, जब टीबी की दवा ही नहीं मिलेगी। शहर में १,२८६ मरीज दवा की कमी से टीबी की बीमारी से जूझ रहे हैं, जो मरीजों के लिए परेशानियों का सबब बन गया है।
सूत्र बताते हैं कि भिवंडी के बंगालपुरा स्थित मनपा स्वास्थ्य केंद्र क्र. ९ में पिछले २० दिनों से टीबी की दवा उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण मरीजों को बाहर से दवा लेने की सलाह दी जा रही है। स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि सरकार द्वारा उन्हें इन दिनों दवा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, जिसके कारण वह मरीजों को दवा निजी मेडिकल से लेने को कह रहें हैं। इतना ही नहीं, यही हालत मनपा के सभी स्वास्थ्य केंद्रों का है। इस कारण यहां केंद्र सरकार का पूरे देश से टीबी रोग को २०२५ तक जड़ से खत्म करने के दावे की हवा निकल रही है। मरीजों का आरोप है कि मनपा स्वास्थ्य केंद्रों कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी मरीजों से अभद्र व्यवहार करते हैं। मरीजों का कहना है कि टीबी जैसी बीमारी में उन्हें करीब छह या नौ महीने तक दवा के कोर्स को पूरा करना होता है। समय पर दवा नहीं मिलने के कारण कोर्स बीच में ही अधूरा रह जाता है। जिसके बाद मरीजों को दवा का कोर्स दोबारा शुरू करना पड़ता है। यही वजह है कि मनपा के आरोग्य केंद्रों में दवा न होने के कारण मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, जबकि निजी मेडिकल से टीबी की दवा खरीदना गरीब मजदूरों के बस की बात नहीं है। इस संबंध में जब मनपा आरोग्य विभाग की चिकित्साधीक्षक डॉ. बुसरा सय्यद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पिछले दस दिनों से सरकार द्वारा उन्हें टीबी की दवा की प्राप्ति नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राज्य में दवा नहीं है। जब हमारे पास दवा उपलब्ध थी तब हमने कई निजी अस्पतालों को टीबी की दवा दी थी।

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