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भारत है दुनिया का कैंसर कैपिटल … ब्रेस्ट कैंसर से २०४० तक हर साल होंगी १० लाख मौतें! …लैंसट कमीशन की एक रिपोर्ट का दावा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अनहेल्थी खान-पान, बदलती जलवायु ने आज लोगों की लाइफस्टाइल बिगाड़ कर रख दी है। हिंदुस्थान में कैंसर के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि हिंदुस्थान दुनिया का कैंसर कैपिटल बनता जा रहा है। हेल्थ विशेषज्ञों ने हाल ही में एक चौंकानेवाला खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि २०४० तक ब्रेस्ट कैंसर से हर साल तकरीबन १० लाख मौतें हो सकती हैं। दरअसल, ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होनेवाला सबसे कॉमन और खतरनाक कैंसर है। हर साल इसके आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। लैंसट कमीशन की एक रिपोर्ट कहती है कि २०२० के अंत में पिछले पांच वर्षों में ७८ लाख महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान हुई थी, पर उसी साल ६ लाख ८५ हजार महिलाओं की मौत हो गई। इससे भी ज्यादा डरावना ये अनुमान है कि २०४० तक इस बीमारी से हर साल दस लाख मौतें होंगी। वैश्विक स्तर पर स्तन कैंसर की घटनाएं २०२० में २३ लाख नए मामलों से बढ़कर २०४० तक ३० लाख को पार कर जाएंगी।
नियमित जांच जरूरी
बता दें कि ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते वैश्विक मामलों पर चिंता जताते हुए लैंसट विशेषज्ञों ने कहा कि सभी महिलाओं को कम उम्र से ही इसके खतरे को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है। स्तन की नियमित जांच, जोखिम कारकों की पहचान और बचाव के उपाय इस कैंसर की रोकथाम में महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। फिलहाल जो वैश्विक रुझान हैं, उन्हें देखते हुए आशंका है कि इस कैंसर के मामले स्वास्थ्य विभाग पर बड़े दबाव का कारण बन सकते हैं। लैंसट की रिपोर्ट के मुताबिक, २०१६ से २०२० तक पांच साल में करीब ७८ लाख महिलाओं में स्तन वैंâसर का निदान किया गया। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर स्तन कैंसर के मामले २०४० तक ३० लाख से ज्यादा हो सकते हैं।
निम्न आय वाले देशों में ज्यादा केस
लैंसट की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रेस्ट कैंसर के सबसे ज्यादा मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों से रिपोर्ट किए जा रहे हैं। वहां महिलाएं असाधारण रूप से प्रभावित हो रही हैं। अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की प्रोफेसर और शोधकर्ता रेशमा जागसी का कहना है कि बढ़ती स्वास्थ्य समस्या को लेकर जागरूकता अभियान जरूरी है, ताकि समय पर जोखिमों की पहचान में मदद मिल सके।

लाइफस्टाइल और आहार में बदलाव जरूरी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, भारतीय महिलाओं में भी स्तन कैंसर का जोखिम लगातार बढ़ रहा है। कैंसर के मामलों का समय पर निदान न हो पाना न सिर्फ इलाज को प्रभावित करता है बल्कि समय के साथ जीवन की गुणवत्ता भी प्रभावित होने लगती है। कैंसर का पता जितनी देर से चलता है, रोगी की जान बचना और कठिन हो जाता है। लाइफस्टाइल और आहार में बदलाव कर जोखिमों को कम किया जा सकता है।

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