मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : कमल का फूल, हमारी भूल

झांकी : कमल का फूल, हमारी भूल

अजय भट्टाचार्य

मंगलवार को मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत खेड़ा गांव में आयोजित राजपूत समुदाय की एक महापंचायत ने `सरकारी योजनाओं को लागू न करने, बढ़ती हिंसा, बेरोजगारी, अग्निवीर योजना और राजपूत समाज के अपमान’ के विरोध में उत्तर प्रदेश में आम चुनाव के पहले चरण में `भाजपा उम्मीदवारों का बहिष्कार’ करने के अपने पैâसले की घोषणा की।’। बहिष्कार का आह्वान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लागू नहीं है, क्योंकि राजपूत नेताओं का मानना है कि योगी उनकी आवाज हैं, जिसे `केंद्रीय भाजपा नेतृत्व द्वारा नहीं सुना जा रहा है’। राजपूत शक्ति के प्रतीक सिवाल खास (बागपत), सरधना (मेरठ) और खतौली (मुजफ्फरनगर) विधानसभा सीटों के अंतर्गत आने वाले २४ गांवों के समूह `चौबीसी’ द्वारा आयोजित की गई महापंचायत के दौरान समुदाय के नेताओं ने सपा उम्मीदवार मुजफ्फरनगर में हरेंद्र मलिक के लिए `अपना समर्थन देने का वादा’ किया। क्षेत्र की अन्य लोकसभा सीटों पर उन्होंने कहा, `वे उस उम्मीदवार को वोट देंगे, जो भाजपा को हराने की स्थिति में होगा’। राजपूत समुदाय से आने वाले दो पूर्व प्रधानमंत्रियों-वीपी सिंह और चंद्र शेखर का जिक्र करते हुए नेताओं ने पूछा कि उन्हें अभी तक भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया है? महापंचायत में मुजफ्फरनगर दंगों के संबंध में २०१३ में उसी जमीन पर आयोजित एक समान पंचायत का भी बार-बार उल्लेख किया गया, जिसने राज्य में भाजपा के उदय का आधार बनाया। उन्होंने कहा कि १० साल बाद यह पंचायत क्षेत्र में भाजपा के पतन का कारण बनेगी। मंच पर लगे एक बड़े पोस्टर के एक तरफ गोल घेरे में `कमल का फूल हमारी भूल’ लिखा था और दूसरी तरफ भाजपा के चुनाव चिह्न को `एक्स’ से काटा गया था।

मुख्यमंत्री आवास पर चिंतन
गुजरात में क्षत्रिय समाज की मांग को दरकिनार करते हुए भाजपा ने राजकोट से परषोत्तम रूपाला का नामांकन करा दिया है, जिसके बाद क्षत्रिय समाज के तेवर और तीखे हो गए हैं। दूसरी तरफ भाजपा के शीर्ष नेताओं ने आम चुनाव से पहले संकट को हल करने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। सोमवार को रूपाला के नामांकन के बाद गांधीनगर में हलचल बढ़ी और देर रात मुख्यमंत्री आवास पर ७५ से अधिक विभिन्न जाति समूहों के साथ समन्वय कर रहे समुदाय के नेताओं और गुजरात भाजपा नेताओं के बीच एक बैठक हुई जो सुबह ३ बजे तक चली, लेकिन गतिरोध तोड़ने में विफल रही। राज्य भाजपा इस बात को लेकर परेशान है कि २२ अप्रैल को भाजपा के प्रधान प्रचारक राजकोट से ही अपना चुनाव अभियान शुरू करने वाले हैं। क्षत्रिय समाज रूपाला की उम्मीदवारी वापस लेने की मांग पर अड़ा है। राजकोट की महापंचायत में क्षत्रियों ने साफ चेतावनी दी यदि रूपाला १९ अप्रैल को नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन तक चुनावी दौड़ से बाहर नहीं निकलते हैं तो अमदाबाद में एक और मेगा रैली का आयोजन किया जाएगा। क्षत्रिय समाज की कोर कमेटी में शामिल करण सिंह चावड़ा ने कहा कि अगर रूपाला को १९ अप्रैल तक नहीं हटाया गया तो हम अब भाजपा का बहिष्कार करेंगे। समिति द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि क्षत्रिय या राजपूत राज्य के हर गांव में भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। क्षत्रियों की इस चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री आवास में चिंतन सत्रों का दौर जारी है। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री और राज्य भाजपा प्रमुख के अलावा गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी और कुछ क्षत्रिय नेता बैठक में उपस्थित थे और उन्होंने राजपूतों के प्रतिनिधियों को अगले दिन एक और दौर की बैठक करने के लिए फिर से आमंत्रित किया लेकिन यह बैठक भी बेनतीजा रही।

डैमेज कंट्रोल फेल
जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो भाजपा के पक्ष में चर्चा का विषय अयोध्या राम मंदिर, धारा ३७० का खात्मा, सीएए आदि थे। रूपाला के बयानों पर क्षत्रिय विद्रोह ने इन मुद्दों को विमर्श से बाहर कर दिया है और जमीनी स्थिति में भारी बदलाव आया है। भाजपा नेतृत्व की आशा के विपरीत यह मुद्दा खुद-ब-खुद ठंडा होता नहीं दिख रहा है और राजपूत समाज ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है। रूपाला मुद्दा सुर्खियों में है और असंतोष राजकोट तक सीमित नहीं है। पार्टी के पास एक शक्तिशाली डैमेज कंट्रोल टीम है, लेकिन इस बार ऐसा लग रहा है कि वह कमजोर पड़ रही है। जैसे-जैसे असहमति की आवाज दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, भाजपा नेतृत्व अपनी `रक्षा की अंतिम पंक्ति’ पर भरोसा कर रहा है। गुजरात के एक वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार प्रधानमंत्री के गुजरात पहुंचते ही इस मुद्दे पर धूल जम जाएगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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