यू.एस. मिश्रा
वक्त के साथ-साथ न केवल सृष्टि, बल्कि इंसान तक बदल जाता है, लेकिन बॉलीवुड में एक ऐसी शख्सियत भी हैं जो काफी कुछ बदलने के बाद भी आज जस की तस हैं और वो हैं सबकी चहेती अभिनेत्री मौसमी चटर्जी। अपनी अल्हड़ता, शोख हंसी और अदायगी से दर्शकों का मन मोह लेनेवाली मौसमी चटर्जी को बचपन से ही जानवरों से बेहद लगाव था। जानवरों से बेहद प्यार करनेवाली मौसमी उस समय बेहद छोटी थीं जब एक कुतिया ने उनका पीछा कर लिया। मौसमी को समझ नहीं आया कि वो क्यों उनका पीछा कर रही है। खैर, ठंडी के दिन थे। पीछा कर रही कुतिया के लिए मौसमी ने घर में दो-तीन बोरे बिछा दिए, ताकि ठंड से उसका बचाव हो सके। सुबह कुतिया ने छह बच्चे दे दिए। जब मौसमी की मां ने कुतिया और उसके बच्चों को देखा तो उन्होंने मौसमी से उनके लिए दूध लाने को कहा। मौसमी ने अपनी मां से कहा मैं उन्हें कहीं और छोड़ आती हूं। लेकिन उनकी मां ने ये कहकर मना कर दिया कि दस दिनों तक तो इनकी आंखें भी नहीं खुलेंगी इसलिए ये कहीं और नहीं जा सकते, इन्हें यहीं पर ही रहने दो। कुत्तों के प्रति मौसमी के प्रेम को देखते हुए उनकी मां ने उन्हें कुत्तेश्वरी नाम दे दिया।
मां ने भले ही मौसमी को प्यार से कुत्तेश्वरी नाम दे दिया हो, लेकिन २६ अप्रैल, १९५५ को कोलकाता में जन्मी इंदिरा चट्टोपाध्याय उर्फ मौसमी चटर्जी के पिता इंडियन आर्मी में और दादा जज थे। फिल्मों में कदम रखने की उनकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। १९६६ में तरुण मजूमदार बंगाली फिल्म ‘बालिका बधू’ के लिए हीरोइन की तलाश जोर-शोर से कर रहे थे, लेकिन उनके मनमुताबिक हीरोइन उन्हें मिल नहीं रही थी। एक दिन तरुण दा अपने घर की बालकनी में खड़े थे। तभी उनकी नजर घर की दार्इं तरफ स्थित गर्ल्स स्कूल में एक ऐसी लड़की पर पड़ी जिसे चारों तरफ से लड़कियों ने घेर रखा था। घेरे के अंदर खड़ी लड़की बिना किसी दूसरी लड़की को मौका दिए लगातार अपनी बात कहे जा रही थी। जब लड़कियों का ग्रुप वहां से चला गया तो तरुण दा ने घर के बगल स्थित स्टूडियो के वॉचमैन से कहा कि क्या वो उस लड़की को उनके पास ला सकता है। खैर, मौसमी के आते ही तरुण दा ने उनसे पूछा, ‘फिल्मों में काम करोगी?’ इस सवाल के जवाब में ‘हां’ या ‘ना’ कहने की बजाय मौसमी ने उनसे कह दिया कि उसकी क्या जरूरत है। अब उन्होंने मौसमी से उनकी पसंद के बारे में पूछा तो मौसमी ने कहा वो उत्तम कुमार के अपोजिट ही काम करेंगी। अब तरुण दा ने उनसे उनके घर का पता पूछा तो मौसमी ने उनसे कहा कि उनकी राय की कोई जरूरत नहीं है। मौसमी का जवाब सुनने के बाद तरुण दा ने कहा, ‘क्यों?’ अब मौसमी ने खुलासा करते हुए कहा, ‘क्योंकि मेरे पिता कहते हैं कि देश आजाद हो गया है इसलिए तुम सब आजाद हो और अपना निर्णय आप ले सकते हो।’ खैर, तरुण दा जब १२ वर्षीया मौसमी के घर उनके पिता की राय लेने पहुंचे तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। लेकिन मशहूर बांग्ला अभिनेत्री संध्या रॉय के समझाने के बाद वो मान गए। जब पिता ने संध्या रॉय को मौसमी की शरारतों के बारे में बताया तब उन्होंने कहा कि हम सब संभाल लेंगे। बतौर हीरोइन मौसमी का चुनाव करने के बाद तरुण दा ने हेमंत कुमार से कहा, ‘हेमंत दा, मैंने ‘बालिका बधू’ चुन लिया है।’ अब हेमंत कुमार कमरे में आए और मौसमी की ओर देखकर बोले, ‘ये… ये कर सकेगी… बहुत छोटी है?’ हेमंत कुमार की बात सुनकर मौसमी को लगा कि वो उनका गला ही दबा दें। खैर, फिल्म ‘बालिका बधू’ की शूटिंग के दौरान मौसमी को एक कमरे में बंद कर दिया जाता क्योंकि वो दो-तीन बार सेट छोड़कर भाग चुकी थीं। शूटिंग के पहले दिन मौसमी को खूब अच्छा लगा, दूसरे दिन बहुत बोरिंग महसूस हुआ और तीसरे दिन तो उन्हें लगा कि इस तरह तो उनका खेलना-कूदना भी बंद हो जाएगा। अब वो बिना किसी को बताए शूटिंग के कॉस्ट्यूम में ही चार नंबर की बस में बैठ गईं। कंडक्टर को देख उन्होंने अपनी बगल बैठे व्यक्ति से पूछा, ‘चार आना है।’ जब उसने ‘हां’ कहा तो मौसमी उससे बोलीं, ‘मेरा टिकट ले लो।’ इसके साथ ही उन्होंने कंडक्टर से कहा, ‘मुझे भवानीपुर उतरना है।’ भवानीपुर में उनकी बुआ और फूफा रहते थे। फूफा जज थे इसलिए उन्हें लगा कि लोग उनसे डरेंगे और वो शूटिंग छोड़कर बुआ के पास भाग आर्इं। बुआ के पास पहुंचते ही मौसमी खूब रोईं और बोलीं मुझे ये अच्छा नहीं लगता। इतने में यूनिट वालों को बुआ के घर मौसमी के पहुंचने की खबर मिली। तरुण मजूमदार सहित सभी वहां पहुंच गए और मौसमी को अटेंशन देने के साथ ही उन्होंने ढेर सारी चॉकलेट्स, गुड़िया सहित बहुत कुछ दिया। फिल्म की शुरुआत में मौसमी को छोटी कहनेवाले हेमंत कुमार ने दसवीं कक्षा में पढ़ रही मौसमी को अपने बेटे जयंत मुखर्जी के लिए पसंद कर लिया और मात्र १५ वर्ष की उम्र में वो हेमंत कुमार की बहू बन गईं। उस जमाने में विवाहोपरांत जहां हीरोइनों का करियर खत्म हो जाता था, वहीं विवाहोपरांत बॉलीवुड में अभिनय की शुरुआत कर मौसमी ने इतिहास रच दिया।