लोकसभा-२०२४ के चुनाव को विदेशों में बैठे हैकर्स प्रभावित कर सकते हैं, इसकी संभावना अमेरिकी कंपनी टेक माइक्रोसॉफ्ट ने जताई है। फेक न्यूज, झूठे मीम्स, डीपफेक व हैकरों की खुराफाती गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए मौजूदा चुनाव ‘भारतीय चुनाव आयोग’ के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष हो, कोई गड़बड़ी न हो। पेश हैं इस विषय पर कांग्रेस की फायर ब्रांड नेत्री व प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत से पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर की विस्तृत बातचीत के मुख्य अंश।
चुनाव में अमेरिकी कंपनी ‘टेक माइक्रोसॉफ्ट’ ने गड़बड़ी होने की आशंका जताई है, आप क्या कहती हैं?
आयोग कितनी भी कोशिशें क्यों न कर ले? झूठे मीम्स, फेक न्यूज, वीडियो, वायरस क्लोन, डीपफेक तस्वीरें बनना बंद नहीं होंगे। अमेरिकी कंपनी टेक माइक्रोसॉफ्ट ने चेताया है कि चीन-कोरिया में बैठे हैकर्स की हरकतों को हल्के में न लें। ऐसे अंदेशों पर गंभीर होने की आवश्यकता है। भारत का लोकसभा चुनाव विदेशों में बैठे हैकर्स प्रभावित कर सकते हैं, ऐसी संभावनाएं तो हम भी जता रहे हैं। ईवीएम हैकर्स के निशाने पर लोकसभा चुनाव- ये बात भी हम पहले दिन से ही बोल रहे हैं, लेकिन हमारी बातों को अनसुना किया जा रहा है।
चुनाव आयोग के समक्ष चुनौतियों क्या और भी हैं?
संविधान के अनुच्छेद ३२४ (१) के तहत २५ जनवरी १९५० को भारत में निर्वाचन आयोग का गठन हुआ। तब से लेकर अब तक आप देखें तो जरूरत के हिसाब से बदलाव चुनाव दर चुनाव हुए। पहले जनसंख्या सीमित थी, अब असीमित है इसलिए कमियां और खामियां प्रत्येक चुनाव में ही रहीं। सवाल ये है कि ऐसी समस्याओं से आयोग ने ईमानदारी से निपटाया कैसे?
क्या ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल इस बार भी है?
ईवीएम पर आरोप हम नहीं लगाते, देश के वोटर लगाते हैं, जिनका वोट ईवीएम निगल जाती है। बीते विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में एक बसपा प्रत्याशी का खुद का डाला हुआ वोट भी कहीं और चला गया। जिस पर उन्होंने आयोग से लेकर तमाम आला अधिकारियों से शिकायतें की, पर कहीं उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे कृत्य मौजूदा लोकसभा चुनाव में नहीं होंगी इस पर पूरे देश के लोगों को संदेह है।
आयोग के तमाम प्रयासों के बाद भी मतदान के प्रतिशत में इजाफा नहीं होता?
मुख्य कारण तो यही है, मतदाता का दिया हुआ वोट जब कहीं और छूमंतर हो जाता है, तब ऐसी स्थिति में वो सोचता है कि आखिर वोट देने से फायदा क्या? बीते २०१९ के लोकसभा चुनाव में ९१ करोड़ मतदाताओं में मात्र ६२ करोड़ वोटरों ने ही वोट डाले। ये आंकड़ा समूचे भारत का ओवरऑल है। कहीं-कहीं तो ३५ से ४० फीसदी ही वोटिंग रही। चिंता का विषय ये भी है, कमी का ये आकंड़ा चुनाव दर चुनाव बढ़ ही रहा है।
मौजूदा चुनाव में आयोग की भूमिका को कैसे देखती हैं आप?
कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने के लिए एआई तकनीक से झूठे प्रचार, जाति-धर्म पर कटाक्ष, भेद-भावपूर्ण हरकतें जारी हैं। चुनाव में खुराफाती तकनीकों का इस्तेमाल मैसेजिंग के जरिए आरंभ हो गया है। होलोग्राफिक, सिनेमैटोग्राफर की मदद से भाषणों के बाकायदा वीडियो बन रहे हैं। मैं खुद भुक्तभोगी हूं।