सामना संवाददाता / मुंबई
जेनेरिक डिसऑर्डर रोग हीमोफीलिया हिंदुस्थान में टेंशन बढ़ा रहा है। पूरे देश में इस बीमारी के सवा लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि, इस अनुवांशिक बीमारी को लेकर एक राहत भरी खबर सामने आई है। चिकित्सकों ने एक आशा जगाते हुए कहा है कि हीमोफीलिया रोग का इलाज जीन थेरेपी से करना संभव हो गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह एक वंशानुगत रोग है, जिसमें व्यक्ति के खून में जन्म से ही एक क्लॉटिंग फैक्टर की कमी होती है, इस फैक्टर की वजह से ही खून में थक्का बन पाता है।
उल्लेखनीय है कि हीमोफीलिया एक जीवनभर रहनेवाला जेनेटिक डिसऑर्डर है। इससे पीड़ित व्यक्ति के लिए छोटी-सी चोट भी गंभीर नुकसान का कारण बन सकती है। हीमोफीलिया एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जो ज्यादातर मां से बच्चों में ट्रांसफर होता है। इसके प्रति जागरूकता की कमी होने से कई बार लोगों को इसका पता देरी से चलने के कारण परेशानी काफी बढ़ जाती है। चिकित्सकों के मुताबिक, हीमोफीलिया की वजह से शरीर में खून का थक्का जम नहीं पाता और जरा-सी चोट लगने पर भी खून बहने लगता है। गंभीर मामलों में इससे जान का खतरा भी रहता है। मामूली चोट के कारण भी जोड़ों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे आगे चलकर जोड़ों में अकड़न और चलने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जेजे अस्पताल में डॉ. मधुकर गायकवाड का कहना है कि यह एक अनुवांशिक बीमारी है। इसमें खून के थक्के जमने के लिए जरूरी फैक्टर की कमी होती है। हीमोफीलिया ए में फैक्टर आठ और हीमोफीलिया बी में फैक्टर नौ की कमी होती है। यह बीमारी एक्स गुणसूत्र से जुड़ी होती है इसलिए यह आमतौर पर लड़कों में ही ज्यादा देखने को मिलती है। इसमें लड़कियां वाहक होती हैं या उनमें हल्के लक्षण दिखाई देते हैं।