मुख्यपृष्ठस्तंभचुनाव में भी शांति कायम नहीं कर पा रही सरकार...

चुनाव में भी शांति कायम नहीं कर पा रही सरकार…

दिल्ली से
योगेश कुमार सोनी

आंतरिक मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दौरान दो पूर्वी और तीन पश्चिमी इंफाल के कुल पांच मतदान केंद्रों से गोलीबारी की घटना सामने आई है। विष्णुपुर जिले के मोइरंग निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत थामनापोक्पी में एक हथियारबंद व्यक्ति ने मतदान केंद्र के पास हवा में गोलीबारी की है। हालात देखते हुए वहां मौजूद मतदाता डर से भाग गए। पुलिस ने बताया कि घटना की सूचना पाकर अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को मौके पर तैनात भी किया गया। लोकसभा चुनाव में फर्स्ट फेज की वोटिंग के बीच मणिपुर के एक पोलिंग बूथ में फायरिंग होने से ३ लोगों के घायल होने की भी खबर से पूरा तंत्र हिल गया। फायरिंग के साथ-साथ ईवीएम में भी तोड़फोड़ हुई है। बीते दिनों सोशल मीडिया पर मणिपुर का वीडियो वॉयरल हुआ था, जिसमें दो महिलाओं को नग्न करके घुमाया गया था। इस मुद्दे पर देश में बड़े स्तर पर हलचल भी हुई थी। संसद सत्र में भी इसको लेकर पक्ष-विपक्ष में हंगामा हुआ था। इस घटना से पूरा देश शर्मिंदा हुआ लेकिन दिल्ली में रह रहे मणिपुर वासियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया था। उनका कहना है हिंसा इतने लंबे समय तक वैâसे चल रही है? कितने लोग बिना वजह मारे जा चुके और महिलाओं को नग्न करके सरेआम घुमाया जा रहा है। देश में नागरिक सुरक्षा के नाम कुछ भी नही है। इसके अलावा इस घटना से केंद्र सरकार की लोग आलोचना कर रहे हैं। स्पष्ट है कि वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के हर कोने में जा रहे थे लेकिन उन्होंने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है। इतनी बड़ी घटना पर आखिर सरकार कोई एक्शन क्यों नहीं ले रही? क्या मणिपुर इंडिया का हिस्सा नहीं है? या मणिपुर सेंट्रल गवर्नमेंट का अटेंशन डिजर्व नहीं करता है? क्या केंद्र सरकार की ये ड्यूटी नहीं है कि मणिपुर में शांति के लिए कोई ब़ड़ा एक्शन लिया जाए? इन सब सवालों पर मंथन की जरूरत है। मणिपुर में हिंसा सही मायने में अभी भी खत्म नही हुई। आज भी वहां हालात स्थिर नहीं है। फायरिंग और मर्डर की घटनाएं रुकने का नाम ही नही ले रही हैं। मणिपुर में जो भी हो रहा है, उससे हर कोई परेशान है। क्या हमारा देश तालिबान की राह पर चल पड़ा? मणिपुर में अभी जो भी हालात हैं, उसकी पूरी तरह से जिम्मेदारी मोदी सरकार की बनती है। जैसा कि मणिपुर में मैतेई समुदाय एसटी स्टेटस की मांग कर रहा है लेकिन सरकार ढाई महीने से अब तक कोई इसका हल नहीं निकाल पाई है। मणिपुर में जो माइनॉरिट कम्युनिटी है वो मैतेई हैं। कुकी या नागा जैसे दूसरे ट्राइबल कम्युनिटी भी हैं, जो माइनॉरिटी में हैं। लेकिन सभी में अपने वर्ग को लेकर एक बडा अंतराल आ गया। पहले कभी ऐसी घटनाएं होती थीं तो लोग इसका समाधान स्वयं निकाल लेते थे लेकिन अब इस मामले में पूरा राजनीतिक प्रकरण हावी हो चुका है। लेकिन आज हमारी सेना चुनावों में भी ऐसी घटनाओं को नहीं रोक पा रही तो इस मामले में मोदी सरकार की जबावदेही है। देश में चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से कराने के लिए सरकार पूर्ण रूप से बाघ्य है। यदि चुनावों में हिंसा ऐसे ही होती रही तो जनता वोट देने नहीं जाएगी, जिससे वोटिंग के प्रतिशत पर भी प्रभाव पड़ेगा।

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