मुख्यपृष्ठनए समाचारशिंदे सरकार की बेरुखी ...दो महीने से नहीं मिला मानधन

शिंदे सरकार की बेरुखी …दो महीने से नहीं मिला मानधन

आंगनवाड़ी सेविकाओं में निराशा
जल्द मानधन देने की मांग
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
केंद्र में मोदी और राज्य में शिंदे सरकार के राज में खास से लेकर आम तक सभी लोग त्रस्त हो चुके हैं। इससे आंगनवाड़ी सेविकाएं भी नहीं बच पाई हैं। आरोप है कि शिंदे सरकार की बेरुखी के कारण उनके दो महीने के मानधन रुके हुए हैं। इससे आंगनवाड़ी सेविकाओं के उदर निर्वाह पर संकट पैदा हो गया है। मानधन रुकने से आंगनवाड़ी सेविकाओं में निराशा के भाव साफ तौर पर झलकने लगे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र राज्य आंगनवाड़ी संघ ने शिंदे सरकार से उनके मानधन की आदायगी जल्द से जल्द करने की मांग किया है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में इस समय ९६,००० आंगनवाड़ी केंद्र हैं। इसके साथ ही १३,००० मिनी आंगनवाड़ियां भी कार्यरत हैं। इन आंगनवाड़ियों में दो लाख से आंगनवाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं कार्यरत हैं। इनके ऊपर शून्य से छह वर्ष के ५८ लाख से अधिक बच्चों और लगभग १० लाख स्तनपान करानेवाली माताओं के साथ ही गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार प्रदान करने की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण कार्य की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर रहती है। इसके अलावा उन्हें तीन से छह साल के बच्चों को प्री-प्राइमरी शिक्षा प्रदान करने का काम भी करना पड़ता है। इन कामों को वे पूरी ही निष्ठा और ईमानदारी से पूरा करती हैं। इसके बावजूद शिंदे सरकार के महिला व बाल विकास मंत्रालय की तरफ से मार्च महीने से मानधन को रोक दिया गया है। इससे सभी दो लाख आंगनवाड़ी सेविकाओं के उदर निर्वाह पर संकट खड़ा हो गया है। लेकिन उनकी इस व्यथा को सुननेवाला शिंदे राज में कोई नहीं है। इससे उनमें निराशा के भाव पैदा हो गए हैं।

इन्हें भेजा गया पत्र
संघ के महासचिव बृजपाल सिंह ने कहा कि एकात्मिक बालविकास योजना में ग्रमीण, आदिवासी और शहरी क्षेत्रों में दो लाख के करीब आंगनवाड़ी सेविकाएं अपनी सेवाएं दे रही हैं। लेकिन उन्हें दो महीने का मानधन नहीं मिला है। ऐसे में संघ की तरफ से महिला व बाल विकास मंत्री, मुख्य सचिव, विभाग के प्रधान सचिव और एकात्मिक बालविकास योजना के आयुक्त को पत्र देकर मामले में तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है।

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