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जीवन दर्पण : कालसर्प योग की वैदिक पूजा कराएं … जीवन में सफलता पाएं!

डाॅ. बालकृष्ण मिश्र

गुरुजी, मेरे बेटे का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है उसके लिए कुछ उपाय बताएं?
-सुरेश शर्मा
(जन्म- ८ अक्टूबर २०१८, दिन में १२.५८ बजे, मुलुंड- मुंबई)
सुरेश जी, आपका जन्म सोमवार के दिन हुआ है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में राशि आपकी कन्या बन रही है। आपका जन्म अमावस्या तिथि एवं धनु लग्न में हुआ है। आपकी कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी चंद्रमा दशम भाव पर बैठा है। अष्टम भाव पर राहु बैठा हुआ है, इस कारण आपकी कुंडली में बालारिष्ट योग बना हुआ है। दो चांदी का चंद्रमा बनवाकर सोमवार के दिन दोनों में लाल धागा लगा लें और मंदिर में शंकर जी को पहनाएं उनमें से एक चांदी का चंद्रमा लाल धागे के साथ बच्चे को पहनाएं दें और दूसरा चांदी का चंद्रमा शंकर जी के ऊपर ही छोड़ दें, ऐसा करने से बच्चे का स्वास्थ्य ठीक होने लगेगा।

गुरु जी, मुझे सफलता नहीं मिल रही है, क्या उपाय करें?
-मुकेश पांडेय
(जन्म ३० मार्च १९८९ दिन में १.४५ बजे, मुंबई)
मुकेश जी, गुरुवार को आपका जन्म हुआ है। पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के प्रथम चरण में राशि आपकी धनु बन रही है। आपका जन्म कर्क लग्न में हुआ है। करियर का विचार दशम भाव से किया जाता है। दशम भाव का स्वामी मंगल ग्रह आपकी कुंडली में पंचम भाव का स्वामी होकर देवगुरु बृहस्पति ग्रह के साथ में लाभ भाव पर बैठा है। आप बुद्धिमान बहुत हैं, लेकिन अपनी बुद्धिमानी का पूरी तरह से लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि आपकी कुंडली में कालसर्प योग बना हुआ है। इस कालसर्प योग के कारण आपकी बुद्धिमानी का पूरा लाभ दूसरे लोग प्राप्त करते हैं। आपको किसी व्यापार से जुड़ना चाहिए। आपको पूरी तरह से विकास और सफलता प्राप्त करने के लिए कालसर्प योग की वैदिक पूजा करनी चाहिए।

गुरुजी, मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है। मुझे क्या करना चाहिए?
-अभिनव सोलंकी
(जन्म- १९ अक्टूबर १९७२, रात्रि ९.३५ बजे, नासिक महाराष्ट्र)
अभिनव जी, आपका जन्म गुरुवार के दिन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण में हुआ है और राशि आपकी कुंभ है। आपका जन्म वृषभ लग्न में हुआ है और सप्तम भाव का स्वामी शुक्र है। शुक्र आपकी कुंडली में चौथे स्थान पर और द्वितीय भाव पर केतु बैठा हुआ है। केतु अपने पंचम दृष्टि से छठे भाव को देख रहा है, जहां पर सूर्य और बुध बैठा हुआ है। वह सूर्य नीच राशि का है, इससे संकेत मिल रहा है कि आपको बैक्टीरिया से रिलेटेड बीमारी है, लेकिन आपको घबराना नहीं चाहिए, उपाय करें। निश्चित आपको लाभ मिलेगा। सबसे पहले तो शनि का उपाय करना आपको आवश्यक है। १०० ग्राम काला तिल, १०० ग्राम काली उड़द, १०० ग्राम बादाम, १०० ग्राम कच्चा कोयला, एक नारियल आधा मीटर काला कपड़ा अपने सिर से सात बार घुमा कर किसी बहते पानी में सात शनिवार आपको डालना चाहिए और पीपल के पेड़ की परिक्रमा प्रतिदिन कम से कम ७ बार करें। यदि ऐसा करते हैं तो धीरे-धीरे आपको राहत मिलना शुरू हो जाएगी। जीवन के विस्तार को अगर आपको जानना है तो आपको संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाना चाहिए।

गुरुजी, मेरी लव मैरिज होगी या अरेंज मैरिज?
-सुरेश शर्मा
(जन्म- १९ दिसंबर १९९६, रात्रि- १२.४५ बजे, स्थान- प्रतापगढ़- उत्तर-प्रदेश)
सुरेश जी, आपका जन्म गुरुवार के दिन रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है। राशि आपकी मीन बन रही है। कन्या लग्न में आपका जन्म हुआ है। कन्या लग्न का स्वामी बुध है। बुध आपकी कुंडली में चौथे स्थान पर बैठा है, लेकिन अष्टम भाव का स्वामी आपकी कुंडली में मंगल है, वह मंगल लग्न में बैठकर राहु के साथ में आपकी कुंडली को मांगलिक बना रहा है। वो इस लग्न में बैठकर अपनी दृष्टि से सप्तम भाव को देख रहा है। सप्तम भाव पर बैठे चंद्रमा पर भी दृष्टि डाल रहा है। इस कारण आपकी मानसिकता तो अपने पसंद से शादी करने की बन रही है, लेकिन आपको माता-पिता की सहमति के बगैर शादी नहीं करनी चाहिए। शादी से पहले आपको मंगल चंडिका स्रोत का पाठ भी करवाना चाहिए तथा आपकी कुंडली में कालसर्प योग भी बना हुआ है। इस कालसर्प योग के कारण आप कनफ्यूज भी रहते हैं।

ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर आपको देंगे सलाह। बताएंगे परेशानियों का हल और आसान उपाय। अपने प्रश्नों का ज्योतिषीय उत्तर जानने के लिए आपका अपना नाम, जन्म तारीख, जन्म समय, जन्म स्थान मोबाइल नं. ९२२२०४१००१ पर एसएमएस करें। उत्तर पढ़ें हर रविवार…!

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ा बनी रहेगी। कोई रुका हुआ महत्वपूर्ण कार्य भी बन सकता है। अगर कोर्ट-कचहरी संबंधी कोई मामला चल रहा है, तो पैâसला आपके हक में होने की संभावना है। अगर कोई पेमेंट आदि फंसा हुआ है, तो इस सप्ताह उसका कुछ हिस्सा हासिल हो सकता है। ध्यान रखें कि आपकी कोई भी योजना सार्वजनिक न हो। किसी भी प्रकार की यात्रा को स्थगित रखना ही उचित रहेगा। यह समय व्यक्तिगत तथा बाहरी गतिविधियों पर पूरा ध्यान देने का है। व्यावसायिक गतिविधियों पर गंभीरता से काम करना होगा।

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