गजेंद्र भंडारी
चुनाव आयोग ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष को इसलिए नोटिस जारी कर दिया, क्योंकि उनके एक गाने में जय भवानी शब्द का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन बात जब भाजपा की आती है तो चुनाव आयोग की आंखों पर पट्टी बंध जाती है और जुबान पर ताला लग जाता है। इसका ताजा उदाहरण राजस्थान का है। रविवार को गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी सभा थी। यहां उन्होंने मंच से एक नहीं, दो-दो बार जय श्रीराम के नारे लगाए, लेकिन चुनाव आयोग ने यह नोटिस नहीं किया। वह मूकदर्शक बना रहा। इससे साबित होता है कि आयोग किसके इशारे पर काम कर रहा है। आयोग को विपक्षी पार्टियों की सभा और रैलियों में कमियां नजर आती हैं, आचार संहिता का उल्लंघन दिखता है, लेकिन भाजपा नेताओं की सभाएं और उनके भाषण नहीं दिखाई देते हैं। इसके बाद भी आयोग निष्पक्ष होने का दावा करता है। अगर चुनाव आयोग इसी तरह से काम करता रहा, तो कैसे उम्मीद की जा सकती है कि इस बार के लोकसभा चुनाव निष्पक्ष तरीके से होंगे?
मन में भरा है जहर ही जहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण उनकी मनोदशा को व्यक्त करता है। पद की गरिमा को किनारे कर वह जो भाषण दे रहे हैं, वह उस वर्ग को भी पसंद नहीं आ रहा है, जिसे वह खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का बताया था। यह झूठ है, मनमोहन सिंह ने ऐसा कभी नहीं कहा। इसके अलावा मोदी का यह कहना जाहिर करता है कि उनके मन में एक समुदाय के लिए कितनी नफरत भरी हुई है। यही हाल विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल का भी है। राजस्थान के सिरोही में एक सभा आयोजित की गई थी, जहां मुस्लिम समुदाय के प्रति खूब जहर उगला गया। पहले चरण के चुनाव के बाद कहा जा रहा है कि `इंडिया’ गठबंधन को बढ़त मिल रही है। शायद इसी की बौखलाहट है, जो पीएम से लेकर तमाम नेता अनाप-शनाप भाषण दे रहे हैं। समाज में मनभेद पैदा कर भाजपा चुनाव जीतने की फिराक में है। हालांकि, हिंदू मतदाताओं को भी मोदी की यह बात पसंद नहीं आई और सोशल मीडिया पर क्ष्मोदीञ्झूठञ्बोलञ्रहेञ्हैं ट्रेंड करने लगा।
इतना कम क्यों हुआ मतदान?
इस बार राजस्थान में पिछली बार के मुकाबले ६ प्रतिशत वोटिंग कम हुई है। इसके पीछे कारण जनता की नाराजगी है। राजपूत समाज इस बात को लेकर नाराज है कि राजपूतानियों का अपमान हुआ है। वहीं युवा नौकरियों को लेकर दिक्कत महसूस कर रहे हैं। एसआई भर्ती रद्द होने और पेपर लीक मामले से भी युवा नाराज चल रहे हैं। यही वजह है कि मतदान का प्रतिशत गिरा है। कई पोलिंग बूथ तो ऐसे हैं, जहां सिर्फ मतदान कर्मचारियों ने ही वोट डाले हैं। ८ ऐसे बूथ हैं, जहां १०२ वोट पड़े हैं। यह नाराजगी सत्तारूढ़ दल को भारी पड़ सकती है। कहा जा रहा है कि डाले गए ज्यादातर वोट सत्ता के विरोध में हुए हैं। कांग्रेस का दावा है कि ४ जून को राजस्थान के नतीजे सभी को चौंका देंगे, क्योंकि इस बार राजस्थान में भाजपा को कम से कम १० सीटों का नुकसान होगा और कांग्रेस को इसका फायदा होगा। खैर, ४ जून को नतीजे सबके सामने होंगे और सच्चाई का पता चल जाएगा।