लोगों ने उठाई सरकार के खिलाफ आवाज
चंद्रकांत दुबे / मीरा-भायंदर
मीरा-भायंदर मनपा ने अभी हाल ही में संपत्ति कर बिल जारी किया है, जिसमें `पानी आपूर्ति कर’ लगाकर शहर की जनता को सकते में डाल दिया है, जबकि वार्षिक बजट को पेश करते समय आयुक्त ने नागरिकों पर नए कर व कर में किसी भी प्रकार की वृद्धि से इनकार किया था। इससे आयुक्त की कथनी और करनी पर भी लोगों में रोष है, वहीं इसे शिंदे सरकार के कार्यकाल की नाकामी और जनता की परेशानी से जोड़कर देखा जा रहा है।
नए कर से लोगों पर पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
मनपा ने १६ फरवरी को वर्ष २०२४-२५ का बजट पेश किया, जिसमें २ हजार २९७ करोड़ और ९४ लाख का कुल बजट था। उस दौरान मनपा आयुक्त व प्रशासक संजय काटकर ने कहा था कि इस बजट में नागरिकों पर नए करों और दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव नहीं है। मनपा ने नया कर लगाकर नागरिकों पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है, जिससे लोगों में आक्रोश है। शहर की जनता पहले से ही पानी को लेकर परेशान है, जहां कई-कई दिनों तक पानी की सप्लाई नहीं हो रही है। ऐसे में अतिरिक्त कर लगाए जाने से जनता और तिलमिला गई है, जिसका खामियाजा चुनाव के दौरान वर्तमान सरकार को भुगतना पड़ेगा, ऐसी चर्चा शहर में जोरों पर है।
मनपा को हो रहा है करोड़ों का फायदा
मनपा `पानी आपूर्ति कर’ से जहां करोड़ों रुपए की कमाई करने वाली है, वहीं आम जनमानस की जेब पर इसका गहरा असर पड़ने वाला है। बिल में आवासीय संपत्तियों पर १० प्रतिशत तो व्यावसायिक संपत्तियों पर १५ प्रतिशत जलापूर्ति टैक्स लगाया गया है। मनपा के रिकॉर्ड के अनुसार, शहर में लगभग ३ लाख ६५ हजार आवासीय, वहीं ५६ हजार के आसपास वाणिज्यिक संपत्तियां हैं। इस जलापूर्ति कर से मनपा को ३० करोड़ से अधिक की आय होने की संभावना है।