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लोकसभा चुनाव की घोषणा के ठीक पहले … २१ चीनी मिलों के लोन की गारंटर बनी शिंदे सरकार! …१५ मिलों का प्रबंधन सत्ताधारियों के हाथ में

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने १६ मार्च को लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने से कुछ दिन पहले मार्च महीने की शुरुआत में २१ सहकारी चीनी मिलों के लिए गारंटर बनने पर सहमति व्यक्त की और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) से ऋण के लिए उनके नामों की सिफारिश की।
मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, २१ मिलों में से १५ मिलों का प्रबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं या उन लोगों द्वारा किया जाता है जिन्होंने हाल ही में समझौता किया है। दो को उन नेताओं द्वारा संचालित किया जाता है जो एकनाथ शिंदे के साथ थे, जब शिंदे ने २०२२ में शिवसेना के साथ गद्दारी की थी। पांच को अजीत पवार के सहयोगी संचालित कर रहे जिन्होंने शरद पवार से नाता तोड़ लिया है और एक को कांग्रेस नेता द्वारा संचालित किया रहा हैं, जो चुनाव से पहले भाजपा में चले गए है। सोलापुर में एक और मिल का प्रबंधन दिवंगत भरत भालके के बेटे द्वारा किया जाता है, जो एनसीपी (अविभाजित) का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक थे। उपचुनाव में हार के बाद वह भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में शामिल हो गए थे। सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं द्वारा संचालित न की जाने वाली छह मिलों में से दो एनसीपी (शरदचंद्र पवार) से संबद्ध हैं, एक कांग्रेस से, दो निर्दलीय विधायक से संबंधित है और एक राजनीतिक रूप से तटस्थ है। महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों और राजनीति का संबंध बहुत गहरा है और कई चीनी व्यापारी विधायक, सांसद और मंत्री बन जाते हैं। हालांकि, अधिकांश मिलों का राजनीतिक दलों के साथ कुछ संबंध है, लेकिन उनमें से सभी को ऋण के लिए राज्य सरकार की गारंटी नहीं मिलती है। पिछले सितंबर में ३४ में से केवल पांच मिलों ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी (एमएससी) बैंक से १७८.२८ करोड़ रुपए जुटाने की गारंटी प्राप्त की थी। २०२२-२३ सीजन के लिए बैंक ने ३४ मिलों को ८९७.६५ करोड़ रूपए का फंड दिया था, जिसमें से छह मिलों को १७८.२८ करोड़ रुपए राज्य सरकार की गारंटी के आधार पर था। उद्योग के सूत्रों ने बताया कि सहकारी मिलें हर सीजन में ऋण के जरिये लगभग १०,००० करोड़ रुपए जुटाती हैं। सरकार ने जिन मिलों को एनसीडीसी से ऋण देने की सिफारिश की है, उनमें कोल्हापुर स्थित तात्यासाहेब कोरे सहकारी चीनी मिल है, जिसका प्रबंधन विनय कोरे (निर्दलीय विधायक) द्वारा किया जाता है। बीड स्थित लोकनेते सुंदरराव सोलंके सहकारी चीनी मिल का प्रबंधन प्रकाश सोलंके (अजीत पवार गुट) द्वारा किया जाता है। छत्रपति संभाजीनगर में श्री रेणुका शरद सहकारी चीनी मिल का प्रबंधन मंत्री संदीपन भुमरे (एकनाथ शिंदे गुट) संभालते हैं। सरकार की २१ की सूची में एनसीपी विधायक मकरंद जाधव पाटील द्वारा संचालित सातारा स्थित किसानवीर सहकारी चीनी मिल की दो इकाइयों का भी उल्लेख किया गया है, जो २०२३ में एक सप्ताह तक अजीत पवार और शरद पवार दोनों के बीच झूलते रहे थे। अब वह अजीत पवार गुट के साथ है। पाटील ने एक बयान में कहा था कि उन्होंने जुलाई २०२३ में अजीत पवार से मुलाकात की थी, जब वह कर्ज में डूबी अपनी मिल इकाइयों की फंडिंग पर चर्चा करने के लिए लगभग सभी एनसीपी विधायकों के साथ चले गए थे। अखबार से बात करते हुए धाराशिव स्थित श्री विट्ठलसाई सहकारी साखर कारखाना (एसएसके) के अध्यक्ष बसवराज पाटील, जिनकी मिल को सरकारी गारंटी मिली है और इन २१ मिलों की सूची में है। एनसीडीसी ने ऋण देने में किसी भी राजनीतिक संबंध से इनकार किया। पाटील हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए हैं।

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