चुनाव आयोग पर भाजपा के हितैषी होने का आरोप लगता आया है। हाल ही में ईवीएम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भाजपा द्वारा केरल के चुनाव में ईवीएम के माध्यम से गड़बड़ी करने की शिकायत पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने चुनाव आयोग को जांच करने का निर्देश दिया। क्या चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा सकती है? इस पर आपका क्या कहना है?
चुनाव आयोग में नहीं है हिम्मत
एक चुनाव आयुक्त थे टी.एन. शेषन, जिन्होंने कहा था मैं राजनेताओं को खा जाता हूं। ‘खा जाता हूं’ कहना भले ही अतिशयोक्ति हो सकती है, लेकिन उन्होंने सच कहा जाए तो चुनाव आयोग क्या है, उसकी गरिमा क्या है, उसकी उपयोगिता क्या है इसका ज्ञान आम जनता को तो कराया ही, बल्कि राजनेता जो अपने आपको सर्वोपरि समझते थे उनको भी उनकी औकात दिखा दी। अब बात करते हैं आज के चुनाव आयोग की। सिर्फ एक लाइन में इसका जवाब मिल जाएगा कि आज इस आयोग को इतनी भी हिम्मत है कि वह मौजूदा शासक से कह दें ‘शांति बनाए रखें और आयोग के नियमों का पालन करें।’
– शिवम पांडे, मीरा रोड
सरकार ने बना दी कठपुतलियों की फौज
जिस दिन हमारे नए चुनाव आयुक्त राजीव कुमार नए आयुक्त बने तब से यह बात लोगों की समझ में आने लगी थी कि मोदी सरकार ने कठपुतलियों की फौज बना दी है। उनका काम सिर्फ सरकार की हां में हां मिलाना और उनकी गलतियों को अनदेखा करना है। विपक्ष की बातों को लगातार नजरअंदाज करना भी उनके कर्तव्यों में सर्वोपरि है। वरना क्या वजह थी कि अरुण गोयल ने इलेक्शन कमीशन के साथ बने रहने से इनकार कर दिया था। यानी उनके भीतर उनका जमीर जिंदा था, जो इस बात का एहसास उन्हें बार-बार करा रहा था कि यह जो सरकार उनसे करवाएगी वह संविधान के उन मायनों के खिलाफ होगा, जो संविधान उन्हें आयोग का सदस्य होने की जिम्मेदारी और अधिकार देता है। आज की तारीख में हमें गोयल के प्रति संवेदना और रिस्पेक्ट बनाए रखनी होगी, क्योंकि उन्होंने आयोग की भूमिका को समझा।
– अरविंद सिंह, नालासोपारा
सत्ता पर बनाए रखना चाहते हैं कब्जा
२०१४ में अपनी चुनाव रैली के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जो कुछ कहा था मुसलमानों को लेकर उसे तोड़-मरोड़कर कहने में आज सबका विकास करने का दावा करनेवाले स्वमूर्धन्य प्रधानमंत्री को शर्म नहीं आ रही है। उन्होंने सीधे-सीधे कह दिया कि कांग्रेस आएगी तो वह हिंदुओं की प्रॉपर्टी जबरदस्ती लेकर मुस्लिमों में बांट देगी। क्या मोदी आम जनता को इतना बेवकूफ समझने लगे हैं कि लोग उनकी बातों पर विश्वास करने लगेंगे। दरअसल, मोदी को डर लगने लगा है कि यदि उनके हाथ से सत्ता निकल गई तो उन्हें और उनके पार्टनर अमित शाह को सलाखों के पीछे जाना पड़ेगा। मुट्ठीभर उनके पूंजीपति दोस्तों की संपत्ति जप्त हो जाएगी और उनका काला राज भी बाहर आ जाएगा। वह नहीं चाहते सत्ता किसी दूसरे के हाथ जाए और सच सामने आए इसलिए सत्ता पर कब्जा बनाए रखना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने संविधान द्वारा चुनाव आयोग प्रदत्त सभी अधिकारों पर प्रहार कर उन्हें पंगु बना दिया है और चुनाव आयोग को एक सर्कस का शेर जो रिंग मास्टर के इशारे पर कांपते हुए लोगों का मनोरंजन करता है।
– श्याम झा, कांजुरमार्ग
अगले सप्ताह का सवाल?
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष ने अपना वचननामा जारी किया है। वचननामा में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए ‘टैक्स टेरर’ और महाराष्ट्र की लूट को रोकने का वचन दिया गया है। साथ ही सरकारी नौकरियों में महिलाओं को ५० प्रतिशत आरक्षण और सुरक्षा दिया जाएगा। इस पर आपका क्या कहना है?
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