भरतकुमार सोलंकी
सोच इंसान के दिमाग की कुदरत द्वारा दी गई बहुत बड़ी अदृश्य शक्ति है। इंसान जैसा सोचता है, ठीक वैसा ही उसके साथ घटित होता है। सोच का अर्थ विचारों को उत्पन्न करने के लिए अपने दिमाग का उपयोग करने की क्रिया है। इंसान अपने जीवन में जो चाहे पा सकता है बस उसकी अपनी सोच की दिशा वही होनी चाहिए, जिसे वह पाना चाहता है। सोच इंसान के अपने जीवन के उन सारे लक्ष्यों को पाने का पहला और आखिरी कदम होता है।
सोच को मजबूत बनाए बिना कुछ भी हासिल करना नामुमकिन है, इसी तरह अपने लक्ष्य की मंजिल को हासिल करने के लिए सोच को हमेशा ताजा बनाए रखना ही सफलता का राज साबित होता है। व्यक्ति अपने जीवन में जो भी हासिल करना चाहे, उसके लिए उसके पास एक निश्चित सोच का होना जरूरी है। अपनी मंजिल की सोच से अगर कोई भटक जाए तो मंजिल की राह में भटकने जैसा ही है। इंसान जैसा सोचता है, जितना भी वह सोचता है, उतना ही वह अपने जीवन में पाता जरूर है।
इंसान की सोच वैâसी होनी चाहिए? अपने जीवन का लक्ष्य बनाएं- जब आपके जीवन का कोई लक्ष्य होता है तो आपका फोकस बस उसी तरफ होता है और ऐसे में आपके मन में नेगेटिव विचार नहीं आते हैं इसलिए लाइफ में अपना एक उद्देश्य जरूर होना चाहिए, ताकि जीवन में निराशा न आए। आर्थिक परिप्रेक्ष्य में सोच का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है। यह हमारे निर्णयों, योजनाओं और भविष्य की योजनाओं पर सीधा असर डालता है। अच्छी सोच आर्थिक सफलता की दिशा में मार्गदर्शन कर सकती है, जबकि बुरी सोच आर्थिक संकटों को बढ़ा सकती है।
जैसी सोच, वैसा परिणाम; बिल्कुल, यह सत्य है कि जैसी हमारी सोच होती है, वैसे ही हमारे परिणाम होते हैं। प्रेरणात्मक, सकारात्मक सोच अक्सर सफलता की दिशा में ले जाती है, जबकि नकारात्मक या अविश्वासपूर्ण सोच बाधाएं उत्पन्न कर सकती है। आर्थिक क्षेत्र में हर कोई व्यक्ति धनवान बनना तो चाहता है लेकिन कई बार व्यक्ति अपनी सोच से भटक जाता है, जिससे उसके धनवान बनने में देरी हो जाती है।
सोच को बदलो सितारे बदल जाएंगे, नजर को बदलो नजारे बदल जाएंगे; कश्तियां बदलने की कोई जरूरत नहीं, दिशाओं को बदलो किनारे बदल जाएंगे। सोच को बदलने की जरूरत हो तो इसे समय रहते जरूर बदला जाना चाहिए अन्यथा समय निकल जाने के बाद फिर एक नई सोच बनाएंगे तो बीता हुआ समय फिर कभी लौटकर नहीं आ सकता है। सोच का समय के साथ एक गहरा नाता है। इंसान की सोच जितनी जल्दी एक दिशा तय करेगी उतना ही जल्द वह अपनी सफलता की मंजिल हासिल करेगा। जैसा हम सोचेंगे, वैसा ही परिणाम निश्चित है।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)