मथुरा का मुद्दा मतदाताओं ने नकारा
सामना संवाददाता / लखनऊ
पहले चरण के कम मतदान ने तो भाजपा के होश पहले ही उड़ा चुके थे, अब दूसरे चरण के मतदान में भी मोदी सरकार पिछड़ रही है। इसका कारण है कि मोदी सरकार के ध्रुवीकरण का दांव फेल हो गया है। पहले चरण में सुस्त मतदान के बाद भाजपा की आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया था कि भाजपा के कार्यकर्ता व मतदाता बाहर नहीं निकल रहे हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार के बाद चुनाव को हिंदू-मुसलमान की ओर मोड़ दिया था। कांग्रेस के घोषणापत्र को मुस्लिम लीग का घोषणापत्र बताकर हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण की भरपूर कोशिश की थी। मगर दूसरे चरण में मतदाताओं के रुख ने भाजपा के तोते उड़ा दिए हैं।
भाजपा इस बार यूपी में मिशन ८० लेकर चल रही है पर सबसे ज्यादा हालत यहीं खराब है। दूसरे चरण में यूपी में सिर्फ ५४.८५ फीसदी वोटिंग ही हुई। यह पूरे देश में सबसे कम है। इसमें भी सबसे कम वोटिंग मथुरा में हुई है जहां से ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी चुनाव लड़ रही हैं।
हैरानी की बात है कि मथुरा में ५० फीसदी के नीचे मतदान बताया जा रहा है। ऐसे में ड्रीम गर्ल का मथुरा से हारना तय है। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अयोध्या के बाद भाजपा ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा गर्म किया है। मगर वोटिंग की हालत देखकर साफ कहा जा सकता है कि जनता ने मथुरा का मुद्दा नकार दिया है। दूसरे चरण में यूपी की आठ सीटों मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अमरोहा, अलीगढ़ और मथुरा में मतदान हुआ था। मगर चुनाव में साफ लग रहा था कि अयोध्या और मथुरा दोनों मुद्दों का मतदाताओं पर कोई प्रभाव नहीं दिखा। उत्तर भारत में कुल ५५ फीसदी मतदान हुआ जिसमें, यूपी में सबसे कम ५४.९३ फीसदी ही मतदान हो पाया। बिहार में यूपी से ज्यादा ५५.०८ फीसदी मतदान हुआ है। भाजपा के अंदरखाने में इस बात को लेकर परेशानी है कि दो चरण का मतदान हो चुका है और हिंदुत्व का मुद्दा नहीं चल पा रहा है। इस बारे में कोर्ट भी एक्टिव है और ज्ञानवापी का हो या मथुरा का सर्वे, सभी के आदेश जारी किए गए। पर न तो इसमें युवाओं को रुचि दिखी और न ही महिलाओं को। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं में भी उत्साह का अभाव नजर आया जिसके कारण वे भी बाहर काफी कम निकले। ऐसे में मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लेकर कौन जाता। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में चुनाव को लेकर कोई उत्साह नजर नहीं आया। दरअसल, कई जगहों पर भाजपा ने बेरहमी से टिकट काट डाले। इससे स्थानीय लोग नाराज हो गए। मसलन भाजपा ने गाजियाबाद से वीके सिंह का टिकट काट दिया, जिससे गाजियाबाद में लोग काफी नाराज हो गए। इसका असर भी मतदान में दिखा।
मोदी की बढ़ी मुश्किलें
भाजपा हार रही है इस बात का संकेत पीएम मोदी को भी लग गया है। तभी तो वे चुपचाप नागपुर स्थित संघ मुख्यालय जा पहुंचे और रात को वहां रुके भी। वहां उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए। नितिन गडकरी नागपुर में थे पर वे मोदी से मिलने नहीं आए। इससे तमाम तरह की अटकलों का बाजार गर्म है।