मनमोहन सिंह
चुनाव आयोग के पास वैसे तो मुख्य रूप से आंकड़े चुनाव से संबंधित तत्वों के ही होते हैं लेकिन एक आंकड़ा और भी होता है, वह होता है जमा किए गए हथियारों का ब्यौरा। ये लाइसेंसी हथियार संबंधित थानों में जमा कराए जाते हैं। फिलहाल, हिमाचल प्रदेश में एक लाख से अधिक लाइसेंसधारक हैं और यहां की जनसंख्या है ७० लाख के करीब यानी मोटे तौर पर हर ७० में से एक हिमाचली के पास एक हथियार है! हिमाचल में १ जून को मतदान होगा और इसी के मद्देनजर हथियारों को जमा करने की प्रक्रिया चल रही है।
लाइसेंसी हथियार मामले में हिमाचल पहले तीसरे नंबर पर था, लेकिन अब चौथे नंबर पर आ गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के वर्ष २०१९ के आंकड़ों के अनुसार, पहले नंबर पर जेएंडके, दूसरे पर पंजाब और तीसरे पर हिमाचल था। उसके बाद यूपी पहले नंबर पर आ गया था, फिर जम्मू-कश्मीर और पंजाब का नंबर है। ये नंबर गेम बदलते रहते हैं।
खैर अब आते हैं इस मुद्दे पर की हिमाचल में लोगों को हथियार की जरूरत आखिर पड़ती क्यों है? रिपोर्ट के अनुसार, सबसे बड़ी वजह फसलों की सुरक्षा यानी क्रॉप प्रोटेक्शन है। किसान क्रॉप प्रोटेक्शन के तहत बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं। हिमाचल में फसलों और फलों को बंदर और जंगली जानवर नुकसान पहुंचाते हैं। बंदूकों में बारूद भरकर दागे जाने से बंदर और जंगली जानवर खेतों में आने से डरते हैं।
हथियार रखना स्टेटस सिंबल भी माना जाता है, महंगी पिस्टलों और राइफलों के लिए लाइसेंस मांगे जाते हैं। इसके अलावा स्पोर्ट्स भी एक वजह है। शूटिंग स्पर्धा में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के पास भी लाइसेंसी राइफल्स होती हैं। विभिन्न राइफल्स एसोसिएशन के पास भी लाइसेंसी वेपन होते हैं। सेल्फ प्रोटेक्शन के लिए भी लोग हथियारों के लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं। फिलहाल, चुनाव आयोग की कवायद चल रही है और इन आंकड़ों पर भी उसने नजर बनाए रखी।
७०,३४३ शस्त्र हो चुके हैं जमा
हिमाचल में कुल १,००,४०३ लाइसेंसी हथियार हैं। निर्वाचन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से अब तक ७०,३४३ शस्त्र जमा हो चुके हैं। शिमला में सबसे अधिक १२,१११ शस्त्र जमा हुए हैं। इसी तरह से बद्दी में १,३५०, बिलासपुर ४,९१३, चम्बा ५,६०३, हमीरपुर ३,८९८, कांगड़ा १२,४६८, किन्नौर १,४०६, कुल्लू ४,६५३, लाहौल-स्पीति २२२, मंडी ७,२८१, नूरपुर ३,९५४, सिरमौर ५७९१, सोलन में ३,८७७ व ऊना जिला में २८१६ शस्त्र जमा करवाए जा चुके हैं। फिलहाल यह प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा शिकायतों के आधार पर भी हथियार जप्त किए जाते हैं। हालांकि, कुछ शिकायतों को खारिज भी किया जाता है। अभी तक ३,२७८ हथियारों को जब्त किया गया।