अनिल मिश्रा
कहते हैं कि मेहनत करनेवाले की कभी हार नहीं होती। इस कहावत को सच साबित करनेवाले नाना पवार सच्चे श्रमिक के साथ-साथ न केवल समाजसेवी, बल्कि कई बार नगरसेवक बने। शहर, समाज, परिवार के लिए मेहनत करनेवाले नाना पवार बताते हैं कि १९७५ में जब वे सातवीं में पढ़ रहे थे, उसी दौरान उनके पिता का स्वर्गवास हो गया। पिता के स्वर्गवास के बाद घर की परिस्थिति बिगड़ गई। नंदूरबार जिले के कोपरली गांव से हम तीन भाइयों को साथ लेकर मां अपने भाई आत्माराम साल्वे के पास उल्हासनगर आ गर्इं। काफी मेहनत के बाद मां ने सम्राट अशोक नगर में एक झोपड़ा ले लिया। टोकरी में फल रखकर उल्हासनगर की सड़कों पर बैठ मैं उन्हें बेचता था। साथ ही टेक्सटाइल पावर लूम में बेगारी और मजदूरी का काम भी किया। १२ वर्षों के बाद मैकेनिक बन गया। महाराष्ट्र के प्रभावशाली कामगार नेता डॉ. दत्ता सामंत की यूनियन में सक्रिय होने और भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब की विचारधारा का कट्टर अनुयायी होने के कारण भारतीय दलित पैंथर के सम्राट अशोक नगर की शाखा के प्रमुख रहते हुए पवार समाज सेवा में लग गए। १९९७ में पार्टी ने मनपा के चुनाव में लड़ने के लिए कहा, परंतु महिला आरक्षण होने के कारण पत्नी पंचशीला पवार को टिकट दिया गया। वह चुनाव जीत गई। २००२ में खुद नाना पवार नगरसेवक चुने गए। फिर २००७ में पत्नी नगरसेविका चुनी गर्इं। २०१२ में फिर से वह नगरसेविका बनीं। २०१४ से २०१७ तक उपमहापौर रहीं। नगरसेवक काल के दौरान स्थाई समिति सदस्य, प्रभाग समिति की सभापति तक बनीं। उम्मेद नामक संस्था के मार्गदर्शक नाना पावर विगत ४० वर्षों से पार्टी के निष्ठावंत कार्यकर्ता हैं। पार्टी में प्रदेश स्तर तक के पद पर कार्य कर चुके नाना पवार की दो बेटियां हैं, जिनका उन्होंने बेटों की तरह पालन-पोषण किया। एक लड़की एम.ए. बीएड करके शिक्षक है तो दूसरी नीट की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनना चाहती है। उसके डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने के लिए उसके साथ नाना पवार और उनकी पत्नी कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। बड़े भाई की एक लड़की कंप्यूटर इंजीनियर है। दो बेटे बीकॉम हैं। उल्हासनगर में आज नाना पवार सेवा के लिए मशहूर हैं। नगरसेवक होते हुए उनकी पत्नी और उनके परिवार का समाज के साथ ही शहर के विकास में काफी योगदान रहा है। अंंबरनाथ-उल्हासनगर की सीमा पर भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब के नाम से भव्य प्रवेश द्वार बनवाया, जिसका उद्घाटन शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के हाथों किया गया। उल्हासनगर के रेलवे उड़ानपुल को शाहू जी महाराज नाम देने के लिए उन्होंने मेहनत और संघर्ष करनेवाले नाना पवार ने उल्हासनगर-३ स्थित जवाहर सिनेमा के समीप भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर वाचनालय और बड़ोलगांव को जानेवाले पुल का निर्माण करवाया। आज मेहनत के बल पर हम तीनों भाई विकास की राह पर हैं और सबका परिवार फल-फूल रहा है।