मुख्यपृष्ठस्तंभउत्तर की उलटन-पलटन : नीतिश के करीबी नाराज... छोड़ा पार्टी का साथ

उत्तर की उलटन-पलटन : नीतिश के करीबी नाराज… छोड़ा पार्टी का साथ

श्रीकिशोर शाही

चुनावी मौसम में पार्टी में नेताओं का आना-जाना तो लगा रहता है। वैसे जब कोई अपना जिस पर आप विश्वास करते हों और वह साथ छोड़ जाए तो दुख होता है। बिहार के सीएम नीतिश कुमार के एक करीबी ने उनका साथ छोड़ दिया है। जेडीयू के महासचिव अजीत कुमार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। खास बात यह है कि वे आरजेडी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह के बेटे हैं। अब पिता आरजेडी में और पुत्र जेडीयू में हैं तो वैसे भी मामला बहुत अलग था ही। हो सकता है कि पिता बार-बार कहते हों कि बेटा कहां पलटू बाबू के पास फंसे हो। खैर, अजीत बाबू ने बिहार जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को पत्र लिखकर अपनी भड़ास निकाली है। उन्होंने पार्टी के कामकाज के तरीकों और हाल में लिए गए निर्णयों पर सवाल खड़े किए हैं। अजीत कुमार का कहना है कि हाल के राजनीतिक घटनाक्रम में पार्टी की ओर से गठबंधन को लेकर दो बड़े पैâसले पार्टी की सबसे निचली और मजबूत इकाई को विश्वास में लिए बगैर बहुत कम समय के अंतराल में लिए गए। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में धरातल पर असमंजस की स्थिति लगातार बनी रहती है। जैसे ही कार्यकर्ता पार्टी की तरफ से कोई भी स्टैंड लेना शुरू करते हैं तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से ठीक उल्टा निर्णय ले लिया जाता है। इसके बावजूद हम सबको लगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी पार्टी और राज्य हित को देखते हुए कुछ उचित पैâसला लिए होंगे। अजीत को भाजपा नेताओं के संविधान बदलने की बात भी हजम नहीं हुई और उन्होंने इसके लिए भी नीतिश को आड़े हाथों लिया। अब इसमें कोई शक नहीं है कि बीच चुनाव में ऐसे आरोप लगाकर पार्टी छोड़कर चले जाने से नीतिश को जोर का झटका तो लगा ही है।
कहां गायब हो गई पप्पू की पार्टी?
पप्पू यादव की पार्टी गायब हो गई है। अब आप कहेंगे कि यह तो पुरानी बात हो गई है, उसका विलय तो कांग्रेस में हो चुका है तो जरा ठहरिए। पप्पू की पार्टी का विलय कांग्रेस में नहीं हुआ है और वे पूर्णिया से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। दरअसल, पता चला है कि पप्पू ने कांग्रेस की सदस्यता ली ही नहीं थी। इस बात का खुलासा खुद कांग्रेस ने ही किया है। उनकी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय नहीं हुआ है। यह बात कांग्रेस ने अब औपचारिक रूप से घोषित कर दिया है। गत २० मार्च को दिल्ली जाकर पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी इसका फोटो-वीडियो सामने आया था। लेकिन अब कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने पटना में साफ किया कि पप्पू यादव के कांग्रेस में शामिल होने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी। उनसे जब पूछा गया कि दिल्ली की वह तस्वीरें क्या थीं तो उन्होंने उलटा सवाल किया कि कांग्रेस मुख्यालय में बहुत सारे लोग नाश्ता करने भी आते हैं। मीडिया के लोग भी आते हैं तो क्या सभी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने ही आते हैं? उन्होंने कहा कि अगर उनके कांग्रेस ज्वाइन करने की कोई पर्ची है तो दिखा दें। अब जाहिर सी बात है कि कांग्रेस में शामिल होने की बात फिर पप्पू ने ही पैâलाई होगी। शायद वे हवा बनाकर पूर्णिया से कांग्रेस का टिकट पाने की जुगाड़ में थे, मगर लालू जी के भी अपने ठोस सूत्र हैं ही, ऐसे में कोई उनसे चालूगीरी नहीं कर सकता, यह तय है।
विज को किसने बनाया बेगाना?
हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री अनिल विज के दिल का दर्द रह-रहकर छलक जाता है। असमय उनका मंत्री पद चला गया और अब इस उम्र में उन्हें दूसरों के लिए चुनाव प्रचार करना पड़ रहा है। हाल ही में अंबाला में भाजपा की `विजय संकल्प रैली’ का आयोजन किया गया था। इसमें उनका दर्द खुलकर छलका। खास बात यह रही कि उस वक्त मंच पर ढेर सारे नेता मौजूद थे। इनमें मुख्य अतिथि के तौर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैबिनेट मंत्री असीम गोयल और कंवरपाल गुर्जर शामिल थे। इस दौरान बाकी नेताओं ने जहां चुनाव प्रचार किया, वहीं कई ने अपनी अलग राग छेड़ दी। मुख्यमंत्री सैनी ने अपने संबोधन के दौरान जहां मंच से कांग्रेस पर जमकर हमला बोला, वहीं पूर्व गृहमंत्री अनिल विज ने अपनी पार्टी के नेताओं को ही निशाने पर ले लिया। हालांकि, उन्होंने किसी नेता का नाम नहीं लिया। अनिल विज का कहना था कि कुछ लोगों ने मुझे पार्टी में बेगाना बनाने की कोशिश की, लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता कि बेगाना अपनों से भी ज्यादा काम आता है। अब चुनावी रैली में तो विपक्ष पर हमला किया जाता है, पर विज बाबू की बंदूक तो अपनों पर ही चलने लगती है इसलिए जरा संभलकर।

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