१०० रुपए के नोट पर छापेगा हिंदुस्थान का इलाका
श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश को मिलाकर घेर रहा चीन
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
पीएम नरेंद्र मोदी की विदेश नीति रसातल में पहुंच गई है। हिंदुस्थान के लगभग सभी पड़ोसी देश एक-एक कर खिलाफ होते जा रहे हैं। इसी दौरान अब नेपाल ने भी आंखें दिखाना शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि नेपाल अपने यहां १०० रुपए के नोट छापेगा, जिसमें भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दिखाया जाएगा। इसे लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ की अध्यक्षता में एक कैबिनेट बैठक भी हुई। बता दें कि वर्ष २०२० में नेपाल ने इन हिस्सों को एकतरफा रूप से अपना घोषित कर दिया था।
नेपाल सरकार ने दी मंजूरी
रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल ने शुक्रवार को १०० रुपए के नए नोट छापने की घोषणा की, जिसमें एक मानचित्र होगा और उसमें भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा। भारत पहले ही इन क्षेत्रों को कृत्रिम रूप से विस्तारित करार दे चुका है। नेपाल सरकार की प्रवक्ता और सूचना एवं संचार मंत्री रेखा शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि २५ अप्रैल और २ मई को हुई कैबिनेट बैठकों के दौरान १०० रुपए के बैंक नोट को फिर से डिजाइन करने और बैंक नोट की पृष्ठभूमि में मुद्रित पुराने मानचित्र को बदलने की मंजूरी दे दी।
विदेश नीति पर उठ रहे सवाल
जानकारों के अनुसार, नेपाल की इस हिमाकत के पीछे चीन का हाथ है, क्योंकि मौजूदा पीएम चीन के समर्थक माने जाते हैं। इसके पहले भी श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश जैसे देश हिंदुस्थान के खिलाफ रह-रहकर विरोध करते हैं, जिससे मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठने लगे हैं।
मोदी सरकार ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
नेपाल के इस पैâसले पर मोदी सरकार ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इसके पहले नेपाल के द्वारा एकतरफा रूप से लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना क्षेत्र घोषित कर दिया था। बता दें कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा पर हिंदुस्थान का अधिकार है और ऐतिहासिक रूप से तीनों क्षेत्र हिंदुस्थान के पास ही रहे हैं। नेपाल के साथ हिंदुस्थान १,८५० किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और बिहार समेत पांच राज्य नेपाल के साथ लगी सीमा पर स्थित हैं।