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फौज का यलगार … पानी नहीं तो वोट नहीं! … फौजियों के गांव में पीने के पानी की है किल्लत

 गांव के हर घर से एक आदमी सेना में है तैनात
रामदिनेश यादव / मुंबई
मोदी सरकार को फौज की कितनी चिंता है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि एक तो वे अग्निवीर ले आए जिसे सेना ने पसंद नहीं किया, जिससे देश को सैनिक देनेवाले गांव उपेक्षित महसूस करने लगे। इससे हरियाणा और हिमाचल जैसे राज्यों के सैनिकों के गांवों के युवाओं में असंतोष की चिंगारी देखने को मिली है। इसके साथ ही इन गांवों के बुनियादी सुविधाओं को भी उपेक्षित रखा गया है। देश की सेवा में जुटे महाराष्ट्र स्थित फौजियों के एक गांव का भी ऐसा ही हाल है। इस गांव में पीने के पानी की किल्लत है। अब इस फौजी गांव के लोगों ने इस चुनावी माहौल में यलगार कर दिया है और कहा है कि अगर उन्हें पानी नहीं दिया गया तो वे इस चुनाव में वोट नहीं देंगे।
बता दें कि सांगली जिले के जत तालुका स्थित फौजियों के इस गांव ने चुनावी माहौल में राज्य सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है। इस गांव में पानी नहीं होने से लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मतदान प्रक्रिया का बहिष्कार किया है। हालांकि, सांगली में लगभग ६५ गांव ऐसे हैं , जहां पानी की भारी किल्लत है। अब ये साफ कह रहे हैं कि जब तक हमें पानी नहीं मिलेगा, तब तक हम वोटिंग नहीं करेंगे। यही वजह है कि सांगली के जत तालुका में सैनिकों के गांवों में पीने के पानी के लिए आंदोलन शुरू हो गया। जत तालुका को सैनिकों का गांव कहा जाता है। यहां हर गांव के हर घर से लगभग एक व्यक्ति सेना में तैनात है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां सूखा की समस्या बढ़ गई है। फरवरी महीने से ही यहां पीने के पानी की समस्या शुरू हो जाती है। जत तालुका में पिछले कई वर्षों से यह समस्या है लेकिन इस वर्ष यहां सूखे का प्रमाण अधिक है। क्षेत्र में पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। सरकार वहां टैंकर से पानी भेजने में भी कोताही बरत रही है। लोगों को टैंकर से पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में गांव में फौजियों ने नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया।

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