मुख्यपृष्ठनए समाचारहिंदुस्थान के कार्यबल को तबाह कर रहा मुंह का कैंसर ...५.६ अरब...

हिंदुस्थान के कार्यबल को तबाह कर रहा मुंह का कैंसर …५.६ अरब डॉलर का कर रहा नुकसान

देश में रोग की शीघ्र जांच और पता लगाने की है जरूरत

सामना संवाददाता / मुंबई
कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही लोग कांप जाते हैं। देश और विदेशों के वैज्ञानिक इस बीमारी के इलाज के लिए नित नए अनुसंधान कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक इसका सटीक इलाज नहीं ढूंढ़ा जा सका है। इस बीच मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में १०० मरीजों पर किए गए नए अध्ययन में चौंकानेवाली जानकारी सामने आई है। इसमें बताया गया है कि हिंदुस्थान के कार्यबल को मुंह का कैंसर तबाह कर रहा है। इससे एक साल में ५.६ अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है। ऐसे में इस जानवेला रोग की शीघ्र जांच और पता लगाने की जरूरत है। टाटा अस्पताल के डॉक्टरों ने देश में पहली बार मुंह के कैंसर से होनेवाली असामयिक मृत्यु व विकलांगता के कारण व्यक्ति और देश को होने वाले आर्थिक नुकसान पर रिसर्च कर चौंकानेवाले तथ्य देश के सामने रखे हैं।

टाटा मेमोरियल अस्पताल द्वारा १०० मरीजों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक, मुंह के कैंसर से होनेवाली अकाल मृत्यु के कारण लोगों ने ६७१ साल अपनी जिंदगी के गवां दिए हैं। इतना ही नहीं, असामयिक मृत्यु के चलते ५.६ अरब डॉलर का नुकसान कार्यबल के रूप में हुआ है। टाटा मेमोरियल अस्पताल के सहायक प्रोफेसर व प्रमुख लेखक डॉ. अर्जुन सिंह के अनुसार, अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों में से एक यह है कि ९१ प्रतिशत मौतें अंतिम चरण यानी ४१.५ वर्ष की औसत आयुवाले रोगियों में थीं। हिंदुस्थान में जनसंख्या मृत्यु दर को देखते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि अगर वे जीवित रहते, तो वे देश की जीडीपी में अधिक योगदान दे सकते थे।

ओरल कैंसर उपचार में बनेगा मददगार
टाटा मेमोरियल सेंटर के पूर्व निदेशक डॉ. आरए बडवे ने कहा कि बहुत कम अध्ययनों ने कम संसाधन सेटिंग्स और विशेष रूप से हिंदुस्थान में कैंसर से कार्यबल हानि पर ध्यान केंद्रित किया है। यह अध्ययन नीति-निर्माताओं को ओरल कैंसर के उपचार के लिए प्रभावी संसाधन आवंटन की योजना बनाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा है कि निष्कर्ष से स्पष्ट है कि ९० प्रतिशत ओरल कैंसर को रोका जा सकता है।

इस तरह हो रहा नुकसान
अध्ययन में असामयिक मौतों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर प्रभाव का विश्लेषण किया गया। महिलाओं और पुरुषों में समय से पहले मृत्यु के कारण कार्यबल का नुकसान क्रमश: प्रति मृत्यु ५७,२२,८०३ रुपए और ७१,८३,९१७ रुपए था। डॉ. सिंह ने कहा कि शुरुआती चरण के वैंâसर से सकल घरेलू उत्पाद को आय का नुकसान ३१,२९,०९२ रुपए और उन्नत चरण के वैंâसर से ७१,७२,५६६ रुपए का नुकसान हुआ।

५५ फीसदी मामलों में हो जाती है मौत
टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार पता लगाए गए ओरल कैंसर के ५५ प्रतिशत मामलों में मृत्यु हो जाती है। उन्होंने कहा कि जागरूकता की व्यापक कमी, ओरल कैंसर को लेकर भय और गलत धारणाओं के कारण अधिकांश मामलों में इसका पता उन्नत चरण में चलता है, जिससे मृत्यु दर में वृद्धि होती है।

अन्य समाचार