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यूरोपियन यूनियन से एस्ट्राजेनेका वापस ले रही वैक्सीन … साइड इफेक्ट से टेंशन में डोज लेनेवाले …भारत में कोविशील्ड नाम से लगाई गई थी वैक्सीन

सीरम इंस्टीट्यूट ने किया था निर्माण
सामना संवाददाता / मुंबई
एस्ट्राजेनेका द्वारा वैश्विक स्तर पर वैक्सीन वापस लेने के पैâसले के बाद डोज लेनेवाले टेंशन में हैं। कंपनी ने यूरोपियन यूनियन से अपनी वैक्सीन को वापस लेना भी शुरू कर दिया है। यह कदम कंपनी ने उस स्वीकारोक्ति के बाद उठाया है, जिसमें उसने कहा था कि उसकी कोविड वैक्सीन बीमारियों की वजह बन सकती है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही ब्रिटेन की एक अदालत में एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात स्वीकार की थी। ५० से ज्यादा लोगों ने एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ब्रिटिश मीडिया हाउस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एस्ट्राजेनेका ने अपनी कोरोना वैक्सीन को वापस लेने के लिए ५ मार्च को आवेदन किया था, जो ७ मई से प्रभावी हो गया है। कंपनी ने कहा है कि वह व्यावसायिक कारणों से टीके को हटा रही है, क्योंकि वर्तमान में कोरोना वायरस के कई अपडेटेड टीके उपलब्ध हैं। कंपनी ने ये भी कहा है कि अब वैक्सीन का निर्माण या आपूर्ति नहीं की जा रही है। इसकी जगह नए अपडेटेड टीकों ने ले ली है।
७० देशों में वितरित
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को कम से कम ७० देशों में वितरित किया गया है। एस्ट्राजेनेका ने बयान में कहा है कि दुनियाभर में वैक्सीन की ३ अरब से ज्यादा डोज की आपूर्ति की गई। ब्रिटेन में भी इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, सितंबर २०२१ के बाद इसके टीकों को रोक दिया गया। तब तक ब्रिटेन में ५ करोड़ टीके दिए गए थे। साल २०२१ के आखिर में ब्रिटिश सरकार ने फाइजर और मॉडर्ना की डोज देनी शुरू की।
रक्त के थक्के जमने की शिकायत
वैक्सीन को लेकर पहली बार सवाल २०२१ में ही उठे थे, जब इसे लेने वाले कुछ लोगों ने रक्त के थक्के जमने की शिकायत की। विकसित देशों ने वैक्सीन का इस्तेमाल सीमित हो गया। ऐसा माना गया कि फाइजर और मॉडर्ना के एमआरएनए तकनीक से बने टीके एस्ट्राजेनेका की तुलना में अधिक प्रभावी थे।
भारत में वैक्सीन की स्थिति
भारत में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से लगाई गई थी। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास इसके निर्माण का अधिकार है। महामारी के दौरान कोविशील्ड की १७५ करोड़ डोज लोगों को दी गई। दिसंबर २०२१ में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन का उत्पादन बंद कर दिया था। पिछले साल देश में कोरोना केस बढ़ने पर कंपनी ने वैक्सीन का फिर से उत्पादन शुरू किया।

वैक्सीन कितनी सुरक्षित?
एस्ट्राजेनेका ने इसी साल फरवरी में ब्रिटेन की कोर्ट में स्वीकार किया था कि उसकी वैक्सीन से साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जिसमें खून में थक्का जमना और प्लेटलेट्स का कम होना शामिल है। इस साइड इफेक्ट की पहचान थ्रोंबोसीटोपेनिया सिंड्रोम के रूप में की गई, जिससे थ्रोम्बोसिस नामक बीमारी का खतरा होता है। ब्रिटेन में वैक्सीन लगने के बाद कथित तौर पर टीटीएस से ८१ लोगों की मौत और सैकड़ों लोगों को गंभीर चोट लगी है। ५१ मामले में पीड़ितों और उनके परिजनों ने १०० मिलियन पाउंड (१,००० करोड़ रुपए) के मुआवजे के लिए कोर्ट में केस दायर किया है।

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