टीवी सहित फिल्मों में काम कर चुकीं महिमा मकवाना को टीवी शो ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ से घर-घर में पहचान मिली थी। पांच महीने की उम्र में ही अपने पिता को खो देनेवाली महिमा मकवाना इस शो के बाद ‘रिश्तों का चक्रव्यूह’, ‘मरियम खान’ और ‘शुभारंभ’ जैसे कई शोज में नजर आ चुकी हैं। पेश है, महिमा मकवाना से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
आपके करियर की शुरुआत कैसे हुई?
बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ जाने के कारण ‘बालिका वधू’ और ‘मिले जब हम तुम’ शो में मैं बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आई थी। बतौर एक्ट्रेस मैंने सीरियल ‘मोहे रंग दे’ से टीवी की दुनिया में डेब्यू किया, लेकिन सफलता शो ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ से मिली। इसके बाद घर-घर में मेरी पहचान बन गई। आगे चलकर मुझे शो ‘सीआईडी’, ‘आहट’, ‘मिले जब हम तुम’ और ‘झांसी की रानी’ में मुख्य किरदार मिलते गए।
बड़े पर्दे पर आपको कैसे मौका मिला?
बड़े पर्दे पर तेलुगू फिल्म ‘वेंकटपुरममिली’ के बाद मुझे एक शॉर्ट फिल्म ‘टेक-२’ में काम करने का मौका मिला। इसके बाद अगला कदम वेब सीरीज का था। ‘रंगबाज’ सीजन-२ में काम करने के बाद मुझे ‘फ्लैश’ में काम मिला। इसके अलावा सलमान खान की फिल्म ‘अंतिम: द फाइनल ट्रुथ’ से मैंने बॉलीवुड में डेब्यू किया था, जो कमोबेश सफल रही। मेरी वेब सीरीज ‘शो टाइम’ को लोगों ने काफी पसंद किया। एक के बाद एक काम मिलता रहा। थोड़ी प्रतिभा, थोड़ा लुक, थोड़ा अनुशासन और अच्छा व्यवहार ही मेरी पूंजी है, ऐसा मैं मानती हूं जो मेरे काम आई।
छोटे पर्दे से बड़े पर्दे पर आने की राह आपके लिए कितनी आसान थी?
टीवी से फिल्मों में आना मेरे लिए आसान नहीं था। जब आपका चेहरा बार-बार टीवी पर दिखता है तो टाइपकास्ट होना स्वाभाविक है, लेकिन कठिन परिश्रम करने से उसमें सफलता मिलती है। इसमें जरूरी होता है, छोटा या बड़ा मौका मिलना क्योंकि बिना मौके के आप कुछ भी प्रूव नहीं कर सकते। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। फिल्म ‘अंतिम: द फाइनल ट्रुथ’ में मेरा सिर्फ १५ मिनट का किरदार था, लेकिन दर्शकों ने उसे काफी पसंद किया। इंडस्ट्री से न होने के कारण मुश्किलें जरूर आर्इं, पर शांत रहकर मौके की तलाश करते रहना पड़ता है। हालांकि, ये कठिन तो बहुत होता है, परंतु नामुमकिन नहीं होता। जब मेरे पास काम नहीं था तो मन में कई बार नकारात्मक विचार आए, लेकिन मैंने सकारात्मक सोच बनाए रखी।
स्ट्रगल करने के बावजूद फिल्मों में काम मिलने की गारंटी नहीं होती, इस बारे में आपका क्या कहना है?
पहली फिल्म के बाद मैंने कई फिल्मों के लिए शूट किया, लेकिन वे फिल्में रिलीज नहीं हुर्इं। सब कुछ सही होने के बावजूद ऑडिशन देने के बाद रोल किसी और को मिल गया। ऐसे में मैं कुछ भी नहीं कर सकती थी। फिल्मों में दर्जनों ऑडिशन देने के बावजूद रोल न मिल पाना आम बात है, लेकिन यह कड़वी सच्चाई समझ आने तक एक लंबा समय बीत जाता है।
सफलता मिलने के बाद आपकी जिंदगी कितनी बदली है?
मुझमें काफी बदलाव आया है और आज मैं साहसी बन चुकी हूं। पहले तो मैं गुस्से में आ जाती थी, लेकिन मैं अभी भी बहुत कुछ सीख रही हूं। मैं हर उस चीज को स्वीकार करना सीख रही हूं, जो मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा मैं अभी भी वही मिडल क्लास लड़की हूं, जिसे मां ने स्वाभिमान के साथ काम करना सिखाया है।
व्यक्तिगत जिंदगी में आपको कई आपदाओं का सामना करना पड़ा?
वित्तीय रूप से मैं थोड़ी सफल हूं और अभी भी परिवार में अकेली कमानेवाली हूं। मैं पांच महीने की थी, जब मैंने अपने पिता को खो दिया। मैंने सोचा परिवार की देखभाल करना मेरी जिम्मेदारी है। इंडस्ट्री में वित्तीय रूप से कभी कोई सुरक्षित नहीं होता। आज काम है, लेकिन कल का पता नहीं होता। ये सही है कि कई बार पैसों के लिए काम सही न होने के बावजूद उसे करना पड़ता है और इसे स्वीकार करने में मुझे कोई झिझक नहीं। इंडस्ट्री आसान नहीं है और यहां सही काम मिलना बहुत कठिन है। मैंने ईमानदारी से काम करते रहना यहीं सीखा है।