उदय पंकज
कल्याण
आज पूरी दुनिया के प्रत्येक देश में नई युवा पीढ़ी की जनसंख्या है। अत्याधुनिक होती इस दुनिया में हर युवाओं में एक अच्छी जिंदगी जीने की लालसा है। बढ़ती जनसंख्या, गरीबी, कम होते रोजगार की वजह से सफल होने के लिए हर युवा संघर्ष करता दिखाई देता है। वह अपने भविष्य की चिंता और अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर पल चिंता में डूबा रहता है। आज के युवाओं पर उसके परिवार का भी एक मानसिक दवाब बना रहता है, क्योंकि परिवार भी अब अपने बच्चों के भविष्य के प्रति सजग हो गए हैं।
अपना देश जगत में युवाओं का देश है। यहां सबसे ज्यादा युवा हैं। इनमें नई सोच, नई उमंगें, नई मानसिकता, नए सपने, धन पाने की चाह, नया कल्चर, नए आयाम, नए आचार-विचार होने से इनमें भटकाव होने, सही-गलत की जानकारी, लक्ष्य से दूर जाने का खतरा, मेहनत, लगन की कमी, संस्कृति, अपने नैतिक विचारों और संस्कारों की कमी, व्यसन की आदत लगने का डर और पारिवारिक मूल्यों का अवमूल्यन, ये सभी ऐसे कारक हैं, जो युवा ओं को अवसाद, चिंता और मानसिक रूप से घेरते चले जाते हैं। फलस्वरूप, हमारा युवा खुद को सही रास्ते से भटकाकर गलत और असामाजिक रास्तों की ओर मोड़ रहा है और वह रास्ता है नशे का।
आज सोशल मीडिया, टीबी, इंटरनेट, आधुनिक सांस्कृतिक गतिविधियां, पहनावा, प्रतिस्पर्धा, स्वार्थपरक सामाजिक ताना-बाना, घर परिवार, समाज और देश के प्रति अलगाव की सोच, ये सभी प्रभाव आज युवाओं पर गहरे छाप छोड़ रहे हैं। इन सभी में हम भी कहीं न कहीं दोषी हैं, क्योंकि बच्चों की परवरिश परिवार से ही प्रारंभ होती है और जैसे आदर्श, संस्कार परिवार से बच्चों को मिलेंगे, वही उनके मानस पटल पर जीवनभर अंकित रहेंगे।
आज हम सभी अपने बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल और सुखी देखना चाहते है, किंतु हमको बच्चों को आज बदलते जमाने में होने वाले बदलाव और उन खतरों से भी अवगत कराना चाहिए, जो उनको जीवन में मिलते रहेंगे। आज अंतर्राष्ट्रीय खबरों और रिपोर्ट से पता चलता है कि नशे के कारोबार में सबसे बड़ा हिस्सा युवा वर्ग का ही है। अरबों के इस कारोबार ने विभिन्न तरह से युवाओं को उनकी निर्बल मानसिकता को समझते, अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह-तरह से नशे को परोस रहे हैं।
इसे खत्म करने और रोकने के लिए सभी संबंधित महकमा कार्यरत है। इन सभी के साथ हमारी जिम्मेदारी भी है कि हम किसी भी तरह के नशे से दूर रहें और अपने बच्चों को इनसे होने वाले खतरों से अवगत कराएं। आज युवावर्ग के लिए ये मौजमस्ती न होकर उनके लिए एक आवश्यकता बनता जा रहा है, जो उनके जीवन के लिए खतरनाक भी है। किसी भी तरह का नशा हमारे शरीर को, हमारे भविष्य को और हमारे परिवार के लिए घातक हो सकता है। नशा व्यक्ति के जीवन से ही नहीं खेलता, वह बची हुई जिंदगी को भी नरक बनाकर रख देता है। हमारा हर युवा देश का कल का होने वाला देश का कर्ता बनता है और ये ही युवा आगे आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शक भी बनता है। आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि हम खुद जागरूक होकर अपने बच्चों, दोस्तों, सहयोगियों, सगे-संबंधियों तक नशे से होने वाले खतरों से अवगत कराएं। हम खुद संकल्प लें कि जीवन में किसी भी तरह के नशे से दूर रहकर दूसरों को भी संकल्प लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।