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शिंदे सरकार का फरमान … शहीदों के लिए आरक्षित घरों को मिल श्रमिकों को दो! …आवास विभाग ने वारिसों का नहीं लगा सका पता

सामना संवाददाता / मुंबई
संयुक्त महाराष्ट्र के संघर्ष में १०६ शहीद हुए थे। जिसमें से २३ शहीद मिल श्रमिक थे, राज्य सरकार ने इन शहीद मिल श्रमिकों के उत्तराधिकारियों के लिए १२ साल पहले घा़ेडपदेव न्यू हिंद मिल में २३ आवास आरक्षित किए थे। इन मकानों को शहीदों के उत्तराधिकारियों को नि:शुल्क देने का निर्णय लिया गया।
आवास विभाग को उनके उत्तराधिकारियों का पता लगाने और उनकी पात्रता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तदनुसार, आवास विभाग ने वारिसों की तलाश शुरू कर दी। हालांकि, आवास विभाग अब तक २३ में से सिर्फ दो वारिसों का ही पता लगा सका है। इन दोनों उत्तराधिकारियों को मकान का नि:शुल्क वितरण पहले ही किया जा चुका है,लेकिन २१ वारिसों का पता नहीं चलने पर चार-पांच साल पहले आवास विभाग ने देशभर के महत्वपूर्ण अखबारों में वारिसों के नाम प्रकाशित कर उनसे दस्तावेज जमा करने की अपील की थी। इसके बाद भी वारिस सामने नहीं आने से २१ मकान खाली हैं।
मरम्मत हेतु निविदा
इन मकानों को आम मिल श्रमिकों को लॉटरी के माध्यम से उपलब्ध कराने का प्रस्ताव २०२१ में आवास विभाग को भेजा गया था। इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए आवास विभाग ने १९ जून २०२३ को म्हाडा को पत्र भेजा कि राज्य सरकार घोड़पदेव के २१ घरों को मिल श्रमिकों की लॉटरी में शामिल करे। बता दें कि एमएमआरडीए की पट्टे वाली आवासीय परियोजनाओं में २,५२१ घर म्हाडा लॉटरी के लिए उपलब्ध होंगे। इन घरों की मरम्मत के लिए एमएमआरडीए ने टेंडर आमंत्रित किए हैं। मुंबई बोर्ड इस साल मिल श्रमिकों के २,५२१ घरों का निपटान करने की योजना बना रहा है। इन २१ मकानों को एक ही ड्रॉ में शामिल किया जाएगा।

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