सामना संवाददाता / पुणे
अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में पुणे की एक विशेष अदालत ने ११ साल बाद अपना पैâसला सुनाया है। अदालत ने इस हत्या के मुख्य साजिशकर्ता डॉ. वीरेंद्र तावड़े सहित दो अन्य आरोपी वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है, वहीं दाभोलकर को गोली मारने वाले शरद कालस्कर और सचिन एंडुरे को उम्रवैâद की सजा सुनाई, साथ ही प्रत्येक पर ५ लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर सुबह की सैर पर निकले दाभोलकर की २० अगस्त २०१३ को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम से जुड़े मामलों की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.ए. जाधव ने यह पैâसला सुनाया। सीबीआई ने तावड़े पर इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया था। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक दाभोलकर को २० अगस्त, २०१३ को पुणे में सुबह की सैर के दौरान दो बाइक सवार हमलावरों ने गोली मार दी थी। दाभोलकर कई वर्षों से समिति चला रहे थे, उन्होंने अंधविश्वास उन्मूलन से संबंधित विभिन्न पुस्तकें प्रकाशित की थींr और कई कार्यशालाओं का भी आयोजन किया था।