मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : छोटे शहंशाह गुस्से में

झांकी : छोटे शहंशाह गुस्से में

अजय भट्टाचार्य

गुजरात में हुए कम मतदान ने भाजपा को चिंतित कर दिया है और उसके शीर्ष नेता नाराज हैं। मतदान खत्म होने के बाद मोदी के बाद प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे पार्टी के नेता नंबर दो गुजरात भाजपा मुख्यालय ‘कमलम’ गए और पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में उन्होंने जमकर अपना गुस्सा निकाला और कम वोटिंग का कारण जानना चाहा। उन्होंने सभी को आड़े हाथों लेते हुए पूछा, ‘जब दिन के शुरुआती हिस्से में मतदान कम पाया गया तो क्या उपचारात्मक उपाय किए गए? कुछ सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के मजबूत होने और क्षत्रिय उभार के कारण भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। लेकिन अब पार्टी को लग रहा है कि गुजरात में ही खेला हो गया है! क्योंकि मतदान के बाद खुद स्वयंभू विश्वगुरु सड़कों पर थे और मतदान की स्याही लगी उंगली दिखाकर जनता का अभिवादन कर रहे थे, फिर भी वोट कम पड़े। छोटे शहंशाह का भन्नाना स्वाभाविक है। अगर सचमुच खेला सही साबित हुआ तो पाटील साहब की खैर नहीं।
कुरुक्षेत्र और कैलाशो
लोकसभा चुनाव में भाजपा जीत की हैट्रिक मारने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, जबकि हरियाणा की बाजी भाजपा के हाथ से फिसलती दिखाई दे रही है। तीन निर्दलीय विधायकों के बाद पार्टी की अहम सदस्य रहीं कैलाशो सैनी ने भी पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। महाभारत के युद्ध की धरती कहे जाने वाले कुरुक्षेत्र में हमेशा पुरुषों का राज रहा है। कुरुक्षेत्र के आम चुनाव में पुरुषों का दबदबा इस कदर मौजूद था कि कभी किसी पार्टी ने महिला को टिकट नहीं दिया। वैसे ये रिकॉर्ड १९९९ के आम चुनाव में टूटा, जब भारतीय राष्ट्रीय लोक दल ने कैलाशो सैनी को अपना उम्मीदवार चुना। कैलाशो सैनी ने कुरुक्षेत्र में जीत का परचम लहराया और इसी के साथ वो यहां की पहली महिला सांसद बनीं। इसके बाद कैलाशो सैनी २००९ में कांग्रेस में शामिल हो गईं। बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और अब फिर से कैलाशो भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आ गई हैं। ऐसे में कैलाशो का जाना भाजपा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। कुरुक्षेत्र सीट पर ६ठे चरण में मतदान होगा। इस सीट पर पिछले १० साल से भाजपा का कब्जा रहा है। इस बार नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र भाजपा के प्रत्याशी हैं, जिनके सामने `इंडिया’ महागठबंधन के तहत `आप’ उम्मीदवार सुशील गुप्ता ने यहां से नामांकन भरा है। २५ मई को इस सीट पर मतदान होने वाले हैं। पेशे से राजनेता और समाजसेविका रही वैâलाशो सैनी ने कुरुक्षेत्र के यमुनानगर और कैथल में कई विकास कार्य किए हैं। कैलाशो सैनी के पति का नाम ओम नाथ है और दोनों की एक बेटी भी है।
रीढ़ बढ़ाओ या इस्तीफा दो
लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान नफरत फैलाने वाले नेताओं पर भारतीय चुनाव आयोग की मूर्छावस्था के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए, नागरिक समाज समूहों के सदस्य और नागरिक आयोग को पोस्टकार्ड भेजने के लिए डाकघरों और मेल बॉक्स के बाहर कतार में खड़े हुए। बंगलुरु और मैसूर समेत देश के ११ शहरों में विरोध अभियान चलाया गया। हैशटैग ग्रोएस्पाइनऑररिजाइन (रीढ़ बढ़ाओ या इस्तीफा दो) अभियान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को बढ़ावा देने के लिए आयोग से मांग करने वाले संदेश स्याही वाले पोस्टकार्डों से स्पष्ट था, जिन पर खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी की मुहर लगी हुई थी और चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता का खुले तौर पर उल्लंघन करने वाले कई भाजपा नेताओं द्वारा नफरत पैâलाने वाले भाषण के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की वकालत की गई थी। एक कार्यकर्ता विनय कुमार ने कहा, ‘ईसीआई ने नफरत फैलाने वाले भाषण के खिलाफ जो भी कार्रवाई की है, वह निरर्थक और बेकार है और इसने प्रधानमंत्री को भी ऐसे बयान देने से नहीं रोका है। इसके अलावा चिंता की बात यह है कि चुनाव के बाद भी इसका समाज पर लंबे समय तक प्रभाव बना रहेगा। बंगलुरु में २०० से अधिक लोगों और देशभर में हजारों लोगों ने विनय कुमार द्वारा डिजाइन किए गए पोस्टकार्ड चुनाव आयोग को भेजे हैं और उनसे कहा है कि `जागो और महसूस करो कि यह एक स्वतंत्र निकाय है और सरकार के लिए काम नहीं करता है।’ समूह ने बंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को वकीलों, कार्यकर्ताओं, फिल्म निर्माताओं और नागरिकों सहित २० संगठनों द्वारा हस्ताक्षरित एक संयुक्त शिकायत भी सौंपी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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