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मोदी के विचारों की जरूरत क्यों?.. संजय घाड़ीगांवकर ने ली सीएम की चुटकी

सामना संवददाता / ठाणे

यदि खुद को बालासाहेब का वैचारिक उत्तराधिकारी कहते हो तो बेटे के प्रचार के लिए मोदी के विचारों की जरूरत क्यों है? खुद को असली शिवसैनिक कहने वाले शिंदे को अपने बेटे के प्रचार के लिए मोदी और मनसे प्रमुख राज ठाकरे को मैदान में उतारना पड़ रहा है, इससे साफ है कि श्रीकांत शिंदे का इस लोकसभा चुनाव में पत्ता कट होनेवाला हैं।
बता दें कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए शिंदे गुट के उम्मीदवार और १० साल से सांसद रहे श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने कल्याण में एक चुनावी सभा का आयोजन किया है। इस सभा को लेकर शिवसेना उपजिला प्रमुख संजय घाडीगांवकर ने मुख्यमंत्री शिंदे को आड़े हाथों लिया है। मुख्यमंत्री शिंदे शिवसेना प्रमुख बालासाहेब के विचारों के उत्तराधिकारी होने का दावा करते हैं, लेकिन वह बालासाहेब के विचारों को साझा नहीं कर सकते। एकनाथ शिंदे में बालासाहेब के कोई भी वैचारिक गुण नहीं हैं। सीएम एकनाथ शिंदे को अपने बेटे और शिंदे गुट उम्मीदवार को बढ़ावा देने के लिए एमएनएस नेताओं और मोदी को लाना पड़ रहा हैं। २० साल से ठाणे और कल्याण डोंबिवली, उल्हासनगर मनपा का सत्ता सुख भोग रहे अपनी योग्यता के आधार पर वोट मांगने की हिम्मत नहीं है, कल्याण और ठाणे लोकसभा में शिंदे की नैतिक हार हो चुकी है और संजय घाडीगांवकर ने विश्वास जताया है कि गद्दारों को इस चुनाव में सबक सिखाया जाएगा।

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