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अमरे रहे के जयकारों के साथ नंदू सिंह का अंतिम संस्कार

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू। लेह-लद्दाख में सेना के बारूद डिपो में हुए ब्लास्ट में शहीद हुए राजस्थान में झुंझुनू जिले के जवान का आज अंतिम संस्कार किया गया। झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ के रहने वाले नंदू सिंह एक साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। वे सूरजगढ़ गवर्नमेंट कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। इसी 8 मई को वे ब्लास्ट में घायल हो गए थे। सोमवार को चंडीगढ़ में इलाज के दौरान वे शहीद हो गए। आज सुबह उनकी पार्थिव देह उनके गांव पहुंची तो ग्रामीणों ने उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग की थी। अपनी मांगों को लेकर उनके परिवार व ग्रामीणों ने करीब तीन घंटे तक सीकर-लोहारू हाईवे भी जाम रखा। प्रशासन से सहमति के बाद करीब 4 किलोमीटर की तिरंगा यात्रा निकाली गई। इसके बाद उनके पैतृक गांव स्यालू कलां में अंतिम संस्कार किया गया।

जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल सुरेश कुमार जांगिड़ ने बताया कि नंदू सिंह आर्मी के एम्यूनिशन डिपो में ट्रेड्समैन थे। यह पोस्ट डिफेंस सिविलियन कैटेगिरी में आती है। इस तरह के हादसों में इन्हें शहीद का दर्जा देने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा सर्विस से जुड़े अन्य सभी परिलाभ नंदू सिंह के परिजनों को मिलेंगे।

एसडीएम दयानंद ने धरने पर बैठे ग्रामीणों को आयुध डिपो से शव के साथ आए सैन्यकर्मी और जिला सैनिक कल्याण अधिकारी से बात की। उन्होंने बताया कि नंदू सिंह को नियमानुसार विभिन्न मद से कुल लगभग 90 लाख रुपए का फंड दिया जाएगा, इसके अलावा परिजनों को पेंशन भी मिलेगी। लेह में दर्ज एफआईआर के बारे में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी की सेना के अधिकारियों से हुई वार्ता के बाद बताया गया कि वह एक सामान्य प्रक्रिया  एफआईआर नंदू सिंह के विरुद्ध नहीं है। प्रशासन से हुई वार्ता के बाद ग्रामीणों ने धरना वापस ले लिया।

लेह-लद्दाख स्थित गोला बारूद डिपो में 8 मई को बम फट गया था। हादसे में जवान नंदू सिंह  घायल हो गए थे। सूरजगढ़ उपखंड के गांव स्यालू कलां की रामरख की ढाणी निवासी सिंह डिपो (एफएडी 41) में ट्रेडसमैन मेट के पद पर कार्यरत थे। वह मार्च 2023 को सेना में भर्ती हुए थे।

उनका चंडीगढ़ के आर्मी हॉस्पिटल में में इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान सोमवार को जवान का निधन हो गया था। उनकी पार्थिव देह मंगलवार को अंत्येष्टि के लिए गांव लाई गई है, लेकिन उससे पहले ही परिजनों ने जब ग्रामीणों को जानकारी दी कि जवान को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है तो ग्रामीण इस बात से नाराज हो गए।

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