अमर झा / भायंदर
मीरा-भायंदर में आजकल ये कहावत ‘दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए’ लोगों की जुबान पर चढ़ गई है। दरअसल, ये कहावत शिंदे गुट के विधायक प्रताप सरनाईक एवं पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता को लेकर चल रही है। ठाणे सीट से शिंदे गुट के उम्मीदवार की घोषणा होते ही पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता ने भाजपा के खाते में यह सीट नहीं जाने से विरोध का बिगुल बजा दिया था, लेकिन अब दिल नहीं मिलने के बाबजूद हाथ मिलाते नजर आ रहे हैं।
मीरा-भायंदर में अपनी पकड़ और राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए शिंदे गुट के विधायक सरनाईक और भाजपा के पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता कई बार विभिन्न मुद्दों पर आमने- सामने आ चुके हैं।
भाजपा नेता नरेंद्र मेहता २०१९ के विधानसभा में चुनाव हार गए थे। मेहता एवं भाजपाई ने अप्रत्यक्ष रूप से कई बार शिंदे गुट को अपनी हार का जिम्मेदार ठहराते हुए दबी जुबान यह आरोप लगाया कि मीरा-भायंदर के शिंदे गुट ने भाजपा के साथ हुए गठबंधन का धर्म नहीं निभाया। इन्हीं सब बातों को लेकर जब लोकसभा चुनाव में ठाणे सीट से शिंदे गुट के उम्मीदवार नरेश म्हस्के की घोषणा हुई तो मीरा-भायंदर के भाजपाई तिलमिला गए और मन ही मन बदला लेने के इशारे दे दिए। मेहता ने बाकायदे शिंदे गुट के उम्मीदवार का प्रचार नहीं करने की बात सोशल मीडिया के द्वारा कही थी। हालांकि, अब मेहता चुनाव प्रचार में भाग लेते नजर आते हैं। शायद इसे ऊपर से आए दबाव का कारण कह सकते हैं, लेकिन मीरा-भायंदर के भाजपाई के हाव-भाव ये बताते हैं कि ‘दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए’ अगर इस कहावत पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने अमल कर दिया तो नरेश म्हस्के का जीत का रास्ता कठिन हो जाएगा। दूसरी तरफ शिंदे गुट द्वारा चुनाव प्रचार के लिए बनाए गए पर्चे पर मेहता की फोटो न होने से इस कहावत को और बल मिल गया है।
वैसे भी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उम्मीदवार राजन विचारे को लोग पिछले १० वर्षों से सांसद के रूप में पहचानते हैं, जबकि म्हस्के को बहुत कम मतदाता जानते हैं।