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ईवीएम की धांधली तेज! … अब दिग्विजय सिंह ने पकड़ी चोरी …राजगढ़ के स्ट्रांग रूम से ‘एसएलयू’ गायब

उच्चतम न्यायालय में पहुंचा मामला
आज अदालत कर सकती है सुनवाई

सामना संवाददाता / भोपाल
एक अरसे से विपक्ष ईवीएम में धांधली किए जाने का आरोप लगा रहा है। भाजपा और चुनाव आयोग इसे हमेशा नकारते रहे हैं। मगर अब हालिया चुनाव में ईवीएम की धांधली तेज हो गई है। कांग्रेस नेता व एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बाकायदा ईवीएम की चोरी पकड़ ली है। असल में राजगढ़ के स्ट्रॉन्ग रूम से ईवीएम मशीन से जुड़ी ‘एसएलयू’ गायब हो गई है, जबकि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार इसे ४५ दिनों तक स्ट्रांग रूम से नहीं हटाया जा सकता।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने स्ट्रॉन्ग रूम में हुई इस धांधली पर कड़ी आपत्ति प्रकट की है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बता दें कि राजगढ़ के स्ट्रॉन्ग रूम में ‘एसएलयू’ के गायब होने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। इस बारे में कांग्रेस ने कहा है कि परिणाम से पहले ही भाजपा घबरा गई है। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव २०२४ के चार चरणों की मतदान प्रक्रिया पूरी हो गई है। अब स्ट्रॉन्ग रूम में गड़बड़ी की आशंका को लेकर कांग्रेस नेता एवं राजगढ़ प्रत्याशी पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। जानकारी के अनुसार दिग्विजय सिंह की याचिका पर आज सुनवाई हो सकती है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का आरोप है कि राजगढ़ प्रशासन ने ‘एसएलयू’ वापस चुनाव आयोग को सौंपे है। गुना में ‘एसएलयू’ स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखी हुई है लेकिन राजगढ़ में नहीं। एक मई को चुनाव आयोग ने सर्वुâलर जारी कर सभी राज्यों को निर्देश दिए थे, जिसमें कहा गया था कि ‘एसएलयू’ को ४५ दिनों तक स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाए। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा है कि कांग्रेस के राजगढ़ लोकसभा से प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने स्ट्रॉन्ग रूम के निरीक्षण में पाया कि सिर्फ राजगढ़ में उपयोग हुए ‘एसएलयू’ स्ट्रॉन्ग रूम से गायब हैं, जबकि पड़ोसी गुना में ये यूनिट स्ट्रॉन्ग रूम में ही हैं।

कड़ी कार्रवाई की मांग
दिग्विजय सिंह का आरोप है कि जब न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि इन यूनिट्स को चुनाव क्षेत्र के स्ट्रांग रूम में ही अगले ४५ दिनों तक संरक्षित रखना है तब राजगढ़ से क्यों हटाया गया? ये पूरी कार्रवाई किसके इशारे पर की जा रही है, इसकी जांच की जानी चाहिए और जिन अधिकारियों ने न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की है, उन दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

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