मुख्यपृष्ठस्तंभश्री-वास्तव उ-वाच : जो पैरों पर नहीं, बांस पर खड़े होते हैं

श्री-वास्तव उ-वाच : जो पैरों पर नहीं, बांस पर खड़े होते हैं

अमिताभ श्रीवास्तव

पैरों पर खड़े होने का मतलब है किसी रोजगार में लग जाना, किंतु जो बचपन से अपने पैरों पर नहीं, बांस पर खड़े होते हैं उसे क्या कहेंगे? जी हां, यहां के लोग पैरों पर नहीं चलते, बल्कि बांस पर खड़े होकर चलते हैं। टेल्स ऑफ अप्रâीका वेबसाइट की रिपोर्ट में है यह अनोखा स्थल। इथियोपिया में एक बन्ना जनजाति रहती है। इन्हें बेना, बान्या या बेन्ना नाम से भी जाना जाता है। इनका मुख्य काम खेती करना, शिकार करना और मवेशियों को चराना है। इस जनजाति में से कुछ इस्लाम को मानते हैं, जबकि कुछ ईसाई मान्यता के हैं। इन लोगों को बांस की लकड़ियों पर चलने के लिए जाना जाता है। ऐसा वो सैकड़ों सालों से करते आ रहे हैं, ये हुनर पिछली कई पीढ़ियों से उन्हें दिया जा रहा है। वो ऐसा क्यों करते हैं, वो बाकी लोगों की तरह पैरों पर ही क्यों नहीं चलते? दरअसल, ये लोग ऐसा तब करते हैं, जब अपने मवेशियों को चराने जाते हैं। कई बार मवेशियों पर जंगली जानवर हमला कर देते हैं। उनसे बचने के लिए ये लोग लकड़ी का सहारा लेते हैं। उसी पर चलकर ये मवेशियों को हांकते हैं। हालांकि, सिर्फ यही एक कारण नहीं है कि ये लोग लकड़ियों पर चलते हैं। जब-जब जनजाति में कोई उत्सव मनाया जाता है, तब अविवाहित युवक शरीर पर सफेद धारियां बना लेते हैं और फिर इन लकड़ियों पर चलते हैं। यानी वे समझदार हो चुके हैं।

उज्जैन में बनेगी स्पिरिचुअल सिटी
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में अब महाकाल लोक के बाद एक अलग स्पिरिचुअल सिटी विकसित की जाएगी। ये महाकाल मंदिर के १५ किमी के दायरे में करीब १५० एकड़ में बनेगी। इस नगरी में देश का सबसे बड़ा शिवलिंग भी बनेगा। इसके चारों तरफ १२ ज्योतिर्लिंग स्थापित किए जाएंगे। ये शिवलिंग और मंदिर इतने बड़े दायरे में होंगे कि इनकी परिक्रमा ८ किमी की होगी। उज्जैन को सबसे बड़े यूनिटी मॉल देने के बाद राज्य सरकार ये सौगात २०२८ के सिंहस्थ के पहले २०२७ तक देने की तैयारी कर रही है। यहां सैलानियों के रुकने के लिए कॉटेज और आधुनिक बाजार के साथ सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। इस सिटी की कागजी तैयारी पूरी हो गई है। जल्द मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने प्रजेंटेशन दिया जाएगा। इसके बाद प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने की कवायद होगी। प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों की मानें तो दो स्थानों पर जमीन चिह्नित कर ली गई है। स्पिरिचुअल सिटी में पर्यटकों के लिए हर श्रेणी के होटल और कॉटेज की व्यवस्था रहेगी। पूरा क्षेत्र हरियाली से भरा होगा। इसमें बच्चों के लिए प्ले एरिया भी रहेगा। उनके खेलने के लिए सभी तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। गाड़ियों की पार्किंग के लिए बड़ी-बडी मल्टीलेवल पार्किंग भी बनाई जाएंगी। जानकारों का कहना है कि स्पिरिचुअल सिटी विकसित करने के पीछे सरकार की मंशा पर्यटकों को बेहतर सुविधा मुहैया कराना है।

व्हिस्की नंबर वन
विश्व में शराब पी जाती है, भले यह स्वास्थ्य के लिए नुकसादेह होती है, मगर बड़ा बाजार है। हमारे देश में भी इसकी खपत खूब है तो कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने सर्वे में पाया कि इंडिया में बिकने वाली शराब में व्हिस्की अव्वल है। रिपोर्ट बताती है कि भारतीय राज्य ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में रम सबसे लोकप्रिय पेय हैं। वहीं तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्से में ब्रांडी ज्यादा लोकप्रिय है। आईडब्ल्यूएसआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब-करीब पूरे दक्षिण भारत में लिकर का मतलब बीयर से लगाया जाता है। कोई भी अवसर हो, वहां के लोग बियर की बोतल खोलना या बीयर का केन खोलना ज्यादा पसंद करते हैं। हो सकता है कि बीयर की पसंदगी की वजह वैयक्तिक हो, लेकिन पूरे इलाके में एक ही पेय बिकना कुछ तो संकेत देता ही है। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि दिल्ली, मुंबई और पुणे के लोगों को अल्कोहलिक बेवरेज में वाइन पसंद है। दरअसल, इन तीनों महानगरों में ज्यादातर अमीर लोग रहते हैं। साथ ही इन शहरों में ज्यादा पढ़े-लिखे और कल्चर्ड लोग भी रहते हैं। मतलब कि इन लोगों को वाइन का सिप लेना ज्यादा पसंद है। इसी श्रेणी में शैंपेन जैसी अति प्रीमियम बेवरेज भी शामिल हैं।

खतरनाक है ओवरथिंकिंग
सोचना अच्छा है, मगर ज्यादा सोचना खतरनाक है। इसे ही कहते हैं ओवरथिंकिंग। बिना किसी वजह के सोचना। यह बीमारी अब आम होने लगी है। दरअसल, जब हमारे शरीर को डर का एहसास होता है तो इससे निपटने के लिए एक नेचुरल इंपल्स की तरह ओवरथिंकिंग होने लगती है। जब डर, चिंता, तनाव, कंफ्यूजन, इनसिक्योरिटी या कुछ भी उलझन भरी स्थिति का सामना करना पड़ता है तो ओवरथिंकिंग एक कोपिंग मैकेनिज्म की तरह सामने आता है। कुछ लोग जजमेंट के डर से भी ओवरथिंकिंग करते हैं। कुछ लोग अपने फेल हो चुके प्रयासों के कारण भी ओवरथिंकिंग करते हैं। कुछ लोग अनावश्यक उम्मीदों का पिटारा लेकर चलते हैं इसलिए ओवरथिंकिंग करने लगते हैं। यह खतरनाक स्थिति बन सकती है। इससे बचिए। कैसे? जब इस बात का एहसास हो जाए कि आप ओवरथिंकिंग मोड में जा रहे हैं तो सबसे पहले गहरी लंबी सांस लें। इस बात से सहमत हो जाएं कि आपका दिमाग आपको सुरक्षित रखने के लिए ऐसा करता है। इसे कोई बीमारी न समझें। प्रतिदिन दिमाग में आ रहे ६० से ८० हजार विचारों में हर एक विचार को महत्व और स्पेस देने की जरूरत नहीं है। जिम जाएं, योग क्लास ज्वाइन करें या मेडिटेशन करें। ये सभी आदतें दिमाग को स्वस्थ रखती हैं और अनावश्यक ओवरथिंकिंग से बचाती हैं।

लेखक ३ दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं व सम सामयिक विषयों के टिप्पणीकर्ता हैं। धारावाहिक तथा डॉक्यूमेंट्री लेखन के साथ इनकी तमाम ऑडियो बुक्स भी रिलीज हो चुकी हैं।

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