भुला ना सकूं

तुझे भुला दूं रेशा-रेशा
या ख्वाब में उडूं रेत-सा
क्या करूं तेरी याद में,
करूं याद या छोड़ दूं जरा सा
मैं खाली, सादा-सा दिल लिए हूं
अश्कों के जाम दर्द से पिए हूं
क्या करूं तू धमनियों में बहता है
तू करे या ना दिल प्यार करता है
तुझे अपनी धड़कनों में रखता हूं
तू हो मेरे यही लोगों से कहता हूं
क्या करूं जी नहीं भरता सादिक
जो तुझ पे ही पल-पल मरता हूं
-मनोज कुमार, गोण्डा-उत्तर प्रदेश

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