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शिंदे का नेतृत्व नहीं चाहते थे सीनियर… फडणवीस-दादा नहीं थे तैयार… संजय राऊत का सनसनीखेज खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई

महाविकास आघाड़ी सरकार का नेतृत्व एक ऐसे चेहरे द्वारा किया जाना चाहिए, जो सभी दलों को स्वीकार्य हो। इस बात पर शरद पवार और राहुल गांधी सहमत हुए हैं, लेकिन अजीत पवार, सुनील तटकरे और दिलीप वलसे-पाटील ने सबसे पहले यह भूमिका अपनाई थी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में वे काम नहीं करेंगे। उक्त लोगों का कहना था कि हम सीनियर हैं और जूनियर के अधीन काम नहीं करेंगे। यह सनसनीखेज खुलासा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, सांसद संजय राऊत ने मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान किया। इतना ही नहीं देवेंद्र फडणवीस और भाजपा भी शिंदे के नाम के खिलाफ थी।
२०१९ में बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद शुरू हो गया। उसके बाद महाविकास आघाड़ी की स्थापना हुई। तब भी एकनाथ शिंदे को विधानमंडल का नेता चुना गया था। इसके साथ ही शिंदे का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया गया। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता जो अब कैबिनेट में हैं, उन्होंने संदेश भेजा कि दिल्ली जो भी तय करेगी वही होगा, हम शिंदे को मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे। संजय राऊत ने कहा कि इसमें फडणवीस समेत बीजेपी के शीर्ष नेताओं की भूमिका थी। चह खुलासा भी संजय राऊत ने किया। उन्होंने कहा कि तब शिंदे को कोई नहीं चाहता था। क्योंकि उनके पास ज्ञान नहीं था, कम अनुभव था और पैसा फेंको, तमाशा देखो उनकी यही कार्यप्रणाली थी। शिवसेना के कांग्रेस, एनसीपी के साथ जाने का निर्णय लेने से पहले बीजेपी की भूमिका थी कि दिल्ली से जो फैसला आएगा उसे स्वीकार किया जाएगा। अगला मुद्दा यह था कि क्या शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद दिया जाना चाहिए या नहीं, इस पर बीजेपी की भूमिका थी कि हमें शिवसेना का मुख्यमंत्री नहीं चलेंगा, ऐसा राऊत ने स्पष्ट किया।

सत्ताधारियों की मस्ती नहीं हुई कम
४ जून को भले ही सरकार बदल जाएगी, लेकिन सत्ताधारियों की मस्ती कम नहीं हुई है। आज भी दिल्ली से लेकर मुंबई तक विपक्ष को धमकाया जा रहा है। मुलुंड में शिवसैनिकों ने चोरी का पैसा पकड़ा, उन्हें बचाने गृह मंत्री खुद पहुंचे! ये कौन सा कानून है? राऊत ने कहा कि दिल्ली और अन्य राज्यों में भी यही चल रहा है। उन्होंने मांग की कि ईडी को चुनावी बॉन्ड मामले में भाजपा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना चाहिए।

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