सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लगता है इन दिनों बाबा रामदेव के सितारे कुछ गड़बड़ा से गए हैं, तभी तो एक के बाद एक उन्हें बड़ा झटका लग रहा है। दरअसल, पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को खारिज करते हुए कहा, `हम अंधे नही हैं।’ कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वो उदार नहीं होना चाहते। अब एक बार फिर से पतंजलि की सोनपापड़ी जांच परीक्षा में फेल हो गई है। इस मामले में पतंजलि के तीन कर्मचारियों को ६ महीने के जेल की सजा सुनाई गई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पतंजलि की साख को भी बट्टा लगा है।
बता दें कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पिथौरागढ़ संजय सिंह की अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड कंपनी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर, डिस्ट्रीब्यूटर कान्हा जी प्राइवेट लिमिटेड के असिस्टेंट मैनेजर और एक व्यापारी को छह-छह माह की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीनों पर ४० हजार का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना नहीं देने पर दोषियों को अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। खाद्य सुरक्षा विभाग ने १७ अक्टूबर २०१९ को बेड़ीनाग से इलाइची सोनपापड़ी का नमूना लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया था। यहां नमूना असुरक्षित श्रेणी का पाया गया था। प्रदेश की प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होने पर पतंजलि ने इस नमूने की जांच के लिए रेफरल लैब गाजियाबाद (भारत सरकार) को भेजा था। यहां भी नमूना फेल पाया गया, जिसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने २८ जुलाई २०२१ में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद दायर कराया था।
क्या होगा बाबा का?
इतना ही नहीं उत्तराखंड सरकार द्वारा बाबा रामदेव की कंपनी के १४ दवाओं के लाइसेंस भी निरस्त किए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद उत्तराखंड में भी सख्ती दिखाई गई। सवाल यह है कि इससे पहले बाबा के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ही एक्शन क्यों लिया गया? सवाल यह भी है कि क्या बाबा रामदेव अब तक लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे थे?