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फाटक नहीं तो वोट नहीं! …भदोही में सरायकंसराय गांव के 2300 वोटर नहीं डालेंगे अपना वोट

भदोही कलैक्टर साहब भी लौटे बैरंग
ग्रामीणों को वोट लिए नहीं कर पाए राजी
75 साल बाद भी नहीं बन पाया रेल फाटक

सामना संवाददाता / भदोही

सरायकंसराय गांव में रेलवे फाटक न होने से ग्रामीण लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं। मंगलवार को भदोही जिलाधिकारी विशाल सिंह अपने लाव लश्कर के साथ ग्रामीणों को मानाने पहुंचे, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे और जिलाधिकारी को बैरंग लौटना पड़ा।

जिलाधिकारी के. विशाल सिंह के साथ एडीएम वीरेंद्र कुमार मौर्या और भदोही उपजिलाधिकारी शिव प्रकाश यादव भी रहे। जिलाधिकारी मौके पर पहुंच कर ग्रामीणों की समस्या का अवलोकन भी किया। उन्होंने कहा भी कि आप लोगों की मांग जायज है। आप लोग मतदान करिए और पत्रक दीजिए हम इसे आगे बढ़ाएंगे। लेकिन ग्रामीण वोटर बहिष्कार की मांग पर अड़े हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक फाटक नहीं बनेगा वे वोट का बहिष्कार करते रहेंगे।

भदोही जिला मुख्यालय से तक़रीबन 25 किमी उत्तर -पश्चिम स्थिति सरायकंसराय गांव रेल समपार का निर्माण नहीं हो पाया। गांव के जिम्मेदार लोग सांसद, रेलमंत्री से कई बार मिलकर अपनी समस्या को अवगत कराया लेकिन समाधान जब नहीं निकला तो ‘रेल फाटक नहीं तो वोट’ का फैसला करना पड़ा। यह जमीनी सच्चाई है की रेल फाटक न होने से गांव के लोग बहुत पीड़ित हैं। गांव की बड़ी आबादी 25 मई को वोट नहीं करेगी।

क्या है समस्या

भदोही जनपद का सरायकंसराय गांव सीमावर्ती इलाका है। यह जौनपुर और भदोही की सीमा का इस का छोर में अंतिम गांव है। बड़ी आबादी वाला गांव है। यहां कुल आबादी तकरीबन 5,000 हजार है। यहां लगभग 2,300 मतदाता हैं। वाराणसी -लखनऊ रेलखंड के सुरियावां -सरायकंसराय रेल स्टेशन के मध्य स्थिति है। गांव के बीच से रेल लाइन गुजरती है जिसकी वजह से गांव की आबादी दो खंड में विभाजीत हो गईं है। बारिश के मौसम में जब वरुणा नदी में में पानी बढ़ता है तो गांव का संपर्क जौनपुर से टूट जाता है क्योंकि नदी पर कोई पुल नहीं है। दूसरी तरफ यह रेल समस्या है। पहले सिंगल रेल लाइन थीं तो गाँव के लोग जोखिम लेकर ट्रैक पार हो जाते थे लेकिन अब डबल होने से यह समस्या और विकराल हो गईं है।

गांव की क्या है समस्या

गांव के छात्र -छात्राओं को उच्चशिक्षा के लिए दुर्गागंज, सुरियावाँ और जिला मुख्यालय ज्ञानपुर, भदोही जाने के लिए 10 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। जिसकी वजह से पढ़ाई में जहाँ दिक्क़त है वहीं जीवन भी असुरक्षित है। इमरजेंसी में लोग रेल फाटक न होने से अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। दुर्गागंज पुलिस वक्त पर गांव में नहीं आ पाती है। शादी -ब्याह और गृहनिर्माण और दूसरी जरूरत के लिए रेल फाटक बड़ी बधा है क्योंकि वाहन गाँव में नहीं आ पाते हैं। गाँव की खेती दो हिस्सों में बट गईं है जिसकी वजह से जुताई-बुआई में दिक्क़त होती है। मवेशियों के लिए भारी समस्या है। रेल फाटक न होने से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। दूसरी तरफ दूसरे रास्ते से जहाँ दूरी बढ़ जाती है वहीं ग्रामीणों को वाहनों का अधिक किराया भी देना पड़ता है। लेकिन राजनेताओं ने कभी जनता की जमीनी समस्या पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब इस समस्या ने आंदोलन का रूप ले लिया है।

 

क्या बोले ग्रामप्रधान

सरायकंसराय गाँव के युवा मुखिया यानी ग्राम प्रधान नन्दलाल मिश्र ने बताया किभदोही जिलाधिकारी विशाल सिंह गाँव में मंगलवार को आए थे। उन्होंने ग्रामीणों की मांग का स्थालीय निरीक्षण किया है। मांग को जायज भी बताया और पत्रक भी माँगा है। लेकिन गाँव के लोगों का कहना है कि जब तक रेल फाटक नहीं बनेगा वह वोटिंग का बहिष्कार करते रहेंगे।पूर्व रेलमंत्री मनोज सिन्हा, सांसद रमेश बिंद और पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को भी इस समस्या से अवगत कराया गया लेकिन कोई काम नहीं हुआ। इस बार हम झूठे वादे पर विश्वास नहीं करेंगे। गाँव के लोग एक जुट हैं हमारी समस्या का निदान नहीं हुआ है इसलिए ‘रेल फाटक नहीं तो वोट नहीं’ की माँग जायज है। अब हमारी भी मज़बूरी है हमें गाँव के साथ खड़ा होना पड़ेगा।

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