पांच सालों में ३,५८३ मरीजों की हुई मौत
वेटिंग लिस्ट में शामिल हुए ६४,०१८ रोगी
धीरेंद्र उपाध्याय
मुंबई सहित राज्य में हजारों जरूरतमंद लोग अंगदान पाने की प्रतीक्षा में हैं, इनमें किडनी के लिए मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। वेटिंग की सूची अधिक होने के बाद भी अंगदाताओं की संख्या में इजाफा नहीं दिख रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, महाराष्ट्र में ११ सालों में विभिन्न अंगों की वेटिंग लिस्ट में ६४,०१८ रोगी शामिल हुए हैं। चिंता का विषय है कि सबसे ज्यादा किडनी के ५३,६९६ मरीज और उसके बाद लीवर के ९,२०७ रोगी प्रतीक्षा सूची में शामिल हुए हैं। दूसरी तरफ अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में पिछले पांच सालों में ३,५८३ रोगी बेमौत मरे हैं। हालांकि, साल २०११ से २०१८ के बीच मरीजों की मौत का शिंदे सरकार के पास कोई भी आंकड़ा नहीं है, जिससे सरकार की लापरवाही उजागर हो रही है।
उल्लेखनीय है कि अंगदान को लेकर आज भी लोगों में कई तरह की भ्रांतियां मौजूद हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग अंगदान से कतराते हैं। इस कारण अमेरिका समेत विकसित देशों की तुलना में हिंदुस्थान में डोनर की संख्या बहुत ही कम है, जबकि अंग की प्रतीक्षा कर रहे मरीजों की सूची बढ़ते ही जा रही है। कुछ यही स्थिति मुंबई और महाराष्ट्र की भी है। यहां ११ सालों में अंग की प्रतीक्षा सूची में कुल ६४,०१८ मरीज शामिल हुए हैं। इसी तरह साल २०२३ में ७,७४२ मरीज अंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं। दूसरी तरफ १३ सालों में ११,६७४ यानी केवल १८.२३ फीसदी ही रोगियों में अंग प्रत्यारोपण हुआ है। महाराष्ट्र में साल २०२३ में जहां १,२५० लोगों का अंग प्रत्यारोपण हुआ, वहीं इस साल अब तक २२८ लोगों में ही ऑर्गन ट्रांसप्लांट कर उनकी जिंदगी बचाई गई है। इसके साथ ही अंग की प्रतीक्षा कर रहे पांच सालों में ३,५८३ मरीजों की मौत हुई है, इसमें साल २०२३ में ७५२ मरीजों की मौत हुई है। ऐसे में यदि इन मरीजों में समय पर अंग प्रत्यारोपण नहीं हुआ तो उनकी मौत भी हो सकती है।
सबसे ज्यादा किडनी फेलियर के मामले
प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले किडनी फेलियर के सामने आए हैं। इस कारण किडनी प्रत्यारोपण की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। साल २०२१ में ७,२७३, साल २०२२ में ७,४९७ और साल २०२३ में ६,१६६ रोगियों ने प्रतीक्षा सूची में नामों को जोड़ा है। हालांकि, किडनी प्रत्यारोपण के मामले बहुत कम हैं। साल २०२१ में ५६७, साल २०२२ में ६५५, साल २०२३ में ७९२ और साल २०२४ में १४६ मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट कर उन्हें नई जिंदगी दी गई है। हालांकि, साल २०१९ से २०२३ के बीच किडनी न मिलने से कुल १,९९९ मरीजों को जान भी गंवानी पड़ी है। इसके बाद लीवर, हार्ट और लंग्स का नंबर आता है।
जन-जागरूकता की है कमी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, रोग के बारे में जन-जागरूकता की कमी, अंगदान और प्रत्यारोपण के बारे में गलतफहमियां बड़े पैमाने पर हैं। इसलिए प्रत्यारोपण के आवश्यकता वाले रोगियों को अंग के लिए महीनों और यहां तक कि वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है। राज्य में अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची हर साल बढ़ रही है। इसमें सबसे अधिक किडनी मरीजों की संख्या है। डायबिटीज, उच्च ब्लड प्रेशर, दवाओं का अधिक सेवन, व्यायाम की कमी और विशेषकर किडनी की नियमित जांच न कराने के कारण किडनी रोगियों की संख्या बढ़ रही है।
ये लोग कई लोगों को दे सकते हैं जीवनदान
राज्य में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में १५ से १६ हजार लोगों की मौत हो जाती है, इनमें युवाओं की मौत की संख्या अधिक है। यदि मृतक के रिश्तेदार अंगदान के लिए सहमति देते हैं तो एक मृत व्यक्ति का हृदय, दो गुर्दे, यकृत, आंखें, त्वचा, फेफड़े सहित अन्य अंग दान हो सकता है। इससे कई लोगों को जीवन मिल सकता है। हालांकि, रिश्तेदार गलत धारणाओं के कारण अंगदान के लिए सहमति नहीं देते हैं क्योंकि अंगदान का मतलब शरीर को फाड़ना, समय लेना आदि है। इस कारण कई अंग उपयोगी होते हुए भी बर्बाद हो जाते हैं। इसलिए अंगदान के प्रति परिजनों में जागरूकता की जरूरत है। अंग प्रत्यारोपण समिति एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों ने यह विश्वास व्यक्त किया कि यदि अंगदान किया जाए तो अंग प्रतीक्षा सूची कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाएगी।
अंगदान के लिए प्रेरित करना चुनौतीपूर्ण
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, ब्रेन डेड मरीज की पहचान करना तो आसान है, लेकिन शोक में डूबे मरीज के परिजन को अंगदान के लिए मनाना काफी चुनौतीपूर्ण है। अंगदान को लेकर लघु फिल्मों, संचार माध्यम व दूसरे रचनात्मक तरीकों को अपनाकर जागरूकता पैâलाने की जरूरत है। इस संबंध में नागरिकों में जितनी तेजी से सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा, उतनी ही शीघ्रता से अंगदान को गति मिलेगी। मानव अंगों में ट्रांस प्लांटेशन के लिए सबसे ज्यादा किडनी की मांग होती है। वैसे तो कोई भी शख्स अंगदान कर सकता है, लेकिन यदि कोई नाबालिग अंगदान करने की इच्छा रखता है तो इसके लिए उसे जरूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
डॉ. अभिजीत फडणीस,
सहायक निदेशक, स्वास्थ्य विभाग
मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं
शरीर के मृत होने के बाद अगर यह किसी के काम आता है, तो हमें जरूर इसके लिए आगे आना चाहिए। मेडिकल की पढ़ाई करनेवाले छात्र शरीर के अंगों के बारे में बेहतर प्रैक्टिकल नॉलेज लेकर समाज के प्रति बेहतर सेवाएं दे सकते हैं। वे अन्य लोगों से भी अपील कर सकते हैं कि देहदान के लिए आगे आएं और मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
अभिषेक चौरसिया, ठाणे
…तो बचा सकते हैं हजारों की जानें
अंगदान एक तरह का जीवनदान होता है। इसको लेकर देश में जागरूकता की कमी है। अगर अंगदान को लेकर लोग जागरूक होते हैं तो दुनिया से जाता हर एक व्यक्ति अपने पीछे कई लोगों को जिंदगी देकर जा सकता है। अंग की उपलब्धता होने पर हम हजारों ऐसी जान को बचा सकते हैं।
गोविंद सुवसिया, चेंबूर