प्रमोद भार्गव
शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
लोकसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में चार से लेकर आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो सकते हैं। प्रदेश में डेढ़ दशक के भीतर ६६ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं। अब लोकसभा चुनाव के बाद सात विधानसभा और दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव की संभावना दिखाई दे रही है। यह स्थिति इन सीटों पर वर्तमान विधायक और राज्यसभा सदस्यों के चुनाव लड़ने से बनने जा रही है, यदि ये विजयी होते हैं तो उपचुनाव होना तय है।
अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने २९ मार्च को अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा में उपस्थिति दर्ज करा ली है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने ३० अप्रैल को उनका त्यागपत्र भी मंजूर कर लिया। अतएव यह सीट रिक्त हो गई है, गोया यहां उपचुनाव होना तय है। सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे पांच मई को भाजपा में शामिल हो गई हैं। हालांकि, उन्होंने विधायक के पद से अभी तक त्यागपत्र नहीं दिया है। परंतु कांग्रेस ने उन पर निष्कासन की तैयारी कर ली है। ४ जून को चुनाव परिणाम के बाद उन पर कभी भी कार्यवाही हो सकती है। कांग्रेस के विजयपुर से वरिष्ठ विधायक रानिवास रावत ने ३० अप्रैल को भाजपा की सदस्यता ले ली है। इसी के साथ कांग्रेस छोड़ने का एलान भी कर चुके हैं। इसके तुरंत बाद भाजपा के पक्ष में प्रचार भी करते देखे गए। लेकिन अभी तक उन्होंने न तो विधायक पद से इस्तीफा दिया है और न ही कांग्रेस को विधिवत छोड़ा है। वे बार-बार अपने बयान भी बदलने के कारण सुर्खियों में हैं। इससे अंदाजा लग रहा है कि वे अभी भी असमंजस की स्थिति में हैं। उन्हें शायद अभी भी उम्मीद है कि केंद्र में इंडी गठबंधन की सरकार बन सकती है। अगर ऐसा होता है तो वे कांग्रेस में ही दिखाई देंगे।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधायक शिवराज सिंह चौहान विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता होने के कारण उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है। केंद्र में यदि भाजपा की सरकार बनती हैं तो उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक चुनावी सभा में घोषणा भी कर गए हैं कि शिवराज को दिल्ली ले जाएंगे। यदि वे जीतते हैं तो उनकी परंपरागत विधानसभा सीट बुधनी खाली हो जाएगी। ऐसे में अभी से ये अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि उनका राजनीतिक वारिस मध्य प्रदेश में कौन होगा? उनकी पत्नी साधना सिंह और पुत्र कार्तिकेय शिवराज के साथ राजनीतिक गतिविधियों में निरंतर हिस्सा लेते रहे हैं। किंतु भाजपा की परिवारवाद संबंधी गाइडलाइन पत्नी अथवा बेटे के टिकट में बाधा है। ऐसे में शिवराज किसे अपना गढ़ सौंपते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस ने सतना लोकसभा सीट से वर्तमान विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। दूसरी तरफ भाजपा ने मौजूदा सांसद गणेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है। गणेश सिंह सतना से विधानसभा का चुनाव भी लड़े थे, किंतु सिद्धार्थ कुशवाहा ने उन्हें पराजित कर दिया था। अब दोनों एक बार फिर से सांसद बनने की होड़ में परस्पर मुकाबले में हैं। कुशवाहा उन्हें कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहे हैं। अतएव कुशवाहा चुनाव जीतते हैं तो उन्हें विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा। ऐसे में यहां विधानसभा का चुनाव होना लगभग तय माना जा रहा है। इसी तरह कांग्रेस ने डिंडौरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम को मंडला लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने यहां केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। भाजपा ने इन्हें सांसद रहते हुए निवास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया था, लेकिन भाजपा के कद्दावर नेता होने के बावजूद उन्हें पराजय का मुख देखना पड़ा। अभी भी मरकाम उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अतएव यहां ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। यदि मरकाम जीते तो डिंडौरी सीट पर उपचुनाव होना तय है।
शहडोल जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से विधायक फुंदेलाल मार्को शडहोल लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। मार्को गोंड जनजातीय समूह से आते हैं। इस समूह पर उनकी मजबूत पकड़ है। उनका मुकाबला भाजपा की वर्तमान सांसद हिमाद्री सिंह से है। इस कड़ी टक्कर में बाजी किसके हाथ लगती है, फिलहाल कहना मुश्किल है। किंतु फुंदेलाल मार्को चुनाव जीतते हैं तो पुष्पराजगढ़ में विधानसभा का उपचुनाव होना तय है। कांग्रेस ने ताराना से तीन बार के विधायक महेश परमार को महाकाल की नगरी उज्जैन लोकसभा सीट से दांव पर लगाया है। वहीं भाजपा ने अनिल फिरोजिया को दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया है। चूंकि मुख्यमंत्री मोहन यादव का उज्जैन गृहनगर है और उन्हीं की इच्छा से फिरोजिया को टिकट मिला है। साफ है फिरोजिया के साथ मोहन यादव की साख भी दांव पर हैं। कांग्रेस के परमार जीतते हैं तो वे विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर संसद के गलियारों में जाना पसंद करेंगे। ऐसे में इस सीट के खाली होने पर उपचुनाव का होना तय है।
प्रदेश में राजनीति के दो दिग्गज और परस्पर धुर विरोधी दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राज्यसभा सदस्य रहते हुए लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। सिंह अपनी परंपरागत सीट राजगढ़ तो सिंधिया गुना से चुनाव लड़ रहे हैं। दिग्विजय सिंह का कार्यकाल अभी १९ जून २०२६ तक शेष है। यदि वे लोकसभा चुनाव जीतते हैं तो राज्यसभा सीट खाली हो जाएगी। ऐसे में सिंह की खाली सीट भरने के लिए राज्यसभा का चुनाव कराना होगा। सिंह इस क्षेत्र के कद्दावर नेता होने के साथ ही लोकप्रिय भी हैं। ऐसे में दो बार के सांसद भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर को सिंह की तुलना में कमतर आंका जा रहा है। दिग्विजय की जीत लगभग निश्चित मानी जा रही है। सिंधिया का कार्यकाल भी १९ जून २०२६ को पूरा होगा। अतएव सिंधिया जीतते हैं तो उनके रिक्त स्थान को राज्यसभा का उपचुनाव कराकर भरना होगा। बहरहाल लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद प्रदेश को एक बार फिर कई सीटों पर उपचुनाव की गहमागहमी का सामना करना होगा।
(लेखक, वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार हैं।)