सामना संवाददाता / मुंबई
महानगर मुंबई का कुल मतदान अपेक्षा से अधिक ५२.४ प्रतिशत रहा है। लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, छह लोकसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में मतदान संख्या में बहुत अंतर देखा गया है। सबसे अधिक मुलुंड में ५९.६ प्रतिशत और सबसे कम कोलाबा में ४६ प्रतिशत मतदान हुआ। ऐसे में कहा जा रहा है कि कोलाबा जैसे पॉश इलाके के मतदाता सबसे ज्यादा लापरवाह हैं।
बता दें कि पांच अलग-अलग लोकसभा सीटों में स्थित कम से कम छह विधानसभा क्षेत्र मुलुंड, बोरीवली, माहिम, दहिसर, जोगेश्वरी-पूर्व और विले पार्ले में ५५ प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। इनमें ज्यादातर मध्यम वर्ग के इलाके शामिल हैं, जहां मुख्य रूप से मराठी, गुजराती या अल्पसंख्यक मतदाता हैं। मुलुंड के साथ बोरीवली (५८.२ प्रतिशत) और माहिम (५८ प्रतिशत) में सबसे अधिक मतदान हुआ, जो मुंबई के कुल औसत से कहीं अधिक है। उनमें से सबसे कम कोलाबा, धारावी (४६.८) और सायन-कोलीवाड़ा (४८.२) प्रतिशत हैं। मुंबई उत्तर और मुंबई उत्तर पश्चिम दो निर्वाचन क्षेत्र हैं, दोनों पश्चिमी उपनगरों में आते हैं। जहां हर एक विधानसभा क्षेत्र में ५० प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है, लेकिन मतदान फिर भी २०१९ के चुनावों में इन क्षेत्रों में दर्ज किए गए मतदान से कम हुआ। दूसरी ओर ५० प्रतिशत से कम मतदान वाले क्षेत्र शेष चार लोकसभा सीट हैं। उनमें से मुंबई दक्षिण के कोलाबा में ४६.८ प्रतिशत और दक्षिण मध्य लोकसभा क्षेत्र के धारावी ४६.८ और सायन कोलीवाड़ा में ४८.२ प्रतिशत मतदान हुआ है। माना जाता है कि इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक और प्रवासी आबादी है। औसत से कम मतदान वाले इस क्षेत्र के बाद उपनगर के चंदिवाली (४९ प्रतिशत), वर्ली (४९ प्रतिशत) मानखुर्द (४९.३ प्रतिशत), मुंबादेवी (४९.५ प्रतिशत) विधानसभा में मतदान हुआ है। फिर ये इलाके भी अल्पसंख्यक बहुल हैं या जिनमें बड़ी संख्या में प्रवासी आधार हैं।