चिकित्सकों ने दी चेतावनी
सामना संवाददाता / मुंबई
कोरोना महामारी के बाद जीवनशैली में आए बदलाव के कारण बीते कुछ सालों में नौनिहालों में मोटापा तेजी से बढ़ा है। इस बीच एक चिंताजनक तथ्य सामने आया है। इसमें बताया गया है कि ११ साल की उम्र के बाद ८० फीसदी किशोर वयस्क होते ही मोटापे के शिकार हो जाएंगे। इसके साथ ही ७० फीसदी लोग ३० साल से अधिक उम्र में मोटे हो जाएंगे। ऐसे में यदि मोटापे के कारणों को दूर नहीं किया गया तो यह आनेवाले वर्षों में महामारी हो सकता है। इस तरह की चेतावनी चिकित्सकों ने दी है।
मौजूदा समय में हिंदुस्थान का हर तीसरा बच्चा मोटापे का शिकार है। साल २००३-२०२३ तक २१ अलग-अलग स्टडीज की एनालिसिस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में करीब ८.४ फीसदी बच्चे मोटापे की चपेट में हैं, जबकि १२.४ फीसदी अधिक वजन के साथ जी रहे हैं। दुनिया में मोटे बच्चों की संख्या में हिंदुस्थान का दूसरा स्थान है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यह काफी चिंताजनक स्थिति है। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। उनका मानना है कि खानपान की वजह से बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, जो उनके पूरे स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। जनरेशन एक्सएल ओबेसिटी फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. संजय बोरुडे ने कहा कि मोटापा के कारण होनेवाली बीमारियों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस के अनुसार, २०३५ तक ५१ फीसदी लोग मोटापे से ग्रस्त होंगे।
बचपन में मोटापे के इलाज से हैं अनजान
डॉ. संजय बोरूडे ने कहा कि ८७ फीसदी डॉक्टर बचपन के मोटापे के इलाज से अनजान हैं। इसके अलावा लगभग ५५ फीसदी मोटे बच्चे किशोरावस्था में अधिक मोटे हो जाते हैं। इस कारण करीब ८० फीसदी मोटे किशोर अवस्था में मोटे हो जाएंगे। बच्चों में मोटापे की गंभीरता को पहचानते हुए फाउंडेशन ने ११ महीने से लेकर १७ साल की उम्र तक मोटापे से जूझ रहे कई बच्चों को नया जीवन दिया है। इसके साथ ही मोटापे को लेकर अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए देश भर में ‘डायग्नोस्टिक्स के साथ सीएमई’ का आयोजन किया जा रहा है।
शिक्षकों को किया जाना चाहिए प्रशिक्षित
बच्चों में मोटापा एक गंभीर समस्या है। स्कूल में कम से कम दो शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें बच्चों में मोटापे, पोषण और अन्य योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी हो। साथ ही वे बच्चों में मोटापा जानकर माता-पिता को जागरूक कर सकें।
इसलिए कम उम्र में बढ़ने लगता है मोटापा
मोटापा तमाम बीमारियों को निमंत्रण देता है। वर्तमान में बड़ी संख्या में बच्चे वैâलोरी युक्त भोजन खाते हैं। जिससे कम उम्र में ही वजन बढ़ने लगता है। मोटापे के कारण न केवल वजन बढ़ता है, बल्कि चिंता, अवसाद, सामाजिक अलगाव, खान-पान संबंधी विकार, मनोदशा संबंधी विकार और विकासात्मक समस्याओं के माध्यम से बच्चों पर मानसिक असर भी पड़ता है।