ब्रह्मांड में सौरमंडल के आश्चर्यजनक अद्भुत नजारे को एक विशेष टेलिस्कोप से देखा जाता है।
सतगुरु के पास भी एक ज्ञान रूपी दूरबीन होती है, जिससे आंतरिक ब्रह्मांड को देखा जाता है।
हमारे हृदय में मौजूद नजारे का आकर्षण देखना एक सौभाग्य का विषय है।
अंतरिक सौंदर्य से जुड़ने का ‘ज्ञान की दूरबीन’ एक अच्छा साधन है।
आंतरिक नजारे को देखकर हृदय आनंद से गद्-गद् हो जाता है, और संतुष्टि महसूस होती है।
हमारे अंदर ‘अनंत’ मौजूद है, जिसका कोई अंत नजर नहीं आता।
अनंत की संगति परम सुखदायक है।
एक अवर्णनीय और अद्भुत अनुभूति प्राप्त होती है तथा समय भी रुक जाता है।
ज्ञान रूपी दूरबीन प्राप्त करने का एक सार्थक प्रयास अवश्य करना चाहिए।
-आर.डी.अग्रवाल “प्रेमी”
मुंबई