राज्य पाठ्यक्रम मसौदे में की गई सिफारिश
सामना संवाददाता / मुंबई
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली स्तर पर ही व्यावसायिक शिक्षा को महत्व दिया गया है। इसलिए राज्य द्वारा तैयार किए गए राज्य पाठ्यक्रम के मसौदे में कक्षा छठी से ८वीं तक के छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही मसौदे में ‘दस दिन बैग के बिना स्कूल’ पहल चलाने की भी सिफारिश की गई है। इन दस दिनों के दौरान छात्रों को बढ़ई का काम, बिजली का काम, धातु का काम, बागवानी, मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे व्यवसायों में प्रशिक्षित किया जाएगा।
स्कूलों को इन उपक्रमों के लिए स्थानीय व्यावसायियों की मदद ली जानी चाहिए। छुट्टी के दिनों में भी व्यावसायिक पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही छात्रों को समय-समय पर स्कूूल के बाहर की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी जाती रहेगी। इस मसौदे में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से विभिन्न स्थानों, स्मारकों के दौरे, स्थानीय कलाकारों और कारीगरों के साथ बातचीत, स्कूलों के साथ राज्य, जिले के उच्च शिक्षण संस्थानों में दौरे आयोजित करने का सुझाव दिया गया है।
मनुस्मृति, भगवद गीता से कराया जाएगा परिचित
राज्य पाठ्यक्रम के मसौदे में हिंदुस्थानी ज्ञान प्रणाली पर जोर दिया गया है। यह भी सिफारिश की गई है कि तीसरी से ८वीं कक्षा के छात्रों के लिए मनुस्मृति का पाठ, फिर प्रतियोगिता और ९वीं से १२वीं कक्षा के छात्रों के लिए भगवद गीता के अध्यायों के पाठ की प्रतियोगिता की जाए। साथ ही योजना में पूर्व-प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा पर जोर दिया गया है। हिंदुस्थानी मूल्यों का परिचय देने के लिए मनुस्मृति के एक श्लोक का उपयोग करने का भी सुझाव दिया गया है।
ये भी दिए गए सुझाव
मसौदे में पाठ्यक्रम के माध्यम से हिंदुस्थानी ज्ञान प्रणाली के तहत राज्य की संस्कृति, परंपरा, विरासत, प्राचीन और समकालीन ज्ञान, वैदिक कहानियां, गुरु-शिष्य परंपरा के तत्वों को शामिल करने का सुझाव दिया गया है। उसके तहत भाषा-विषयों के अध्ययन के लिए तीसरी से ५वीं कक्षा के लिए १ से २५ मनुस्मृति, ६ठी से ८वीं कक्षा के लिए २६ से ५० मनुस्मृति और ९वीं से १२वीं के लिए भगवद गीता के १२वें अध्याय के पाठ के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित करने का सुझाव दिया गया है। उसी तरह छात्रों को ज्ञानयोग, आत्म ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग से परिचित कराया जाना चाहिए। मसौदे में छात्रों को देश के धर्म, आहार, साहित्य, जीवन के प्रति दृष्टिकोण, देश के प्राचीन ऋषि-मुनियों की पहचान, महान पुरुषों, समाज सुधारकों की पहचान, त्योहारों और समारोहों के बारे में जानकारी देने, देश के प्रति गौरव बढ़ाने, प्रौद्योगिकी, किलों और किलों की जानकारी देने की सिफारिश की गई है।
प्रवेश रद्द करने का अधिकार
प्रस्तावित मसौदे में स्कूल में छात्रों का प्रवेश रद्द करने का प्रावधान है। स्कूल प्रक्रियाओं में विवाद समाधान अनुशासन पर निर्देश शामिल हैं। छात्र के दुर्व्यवहार करने पर स्कूल प्रवेश रद्द कर सकता है। इसके अलावा स्कूलों को स्थाई निष्कासन या प्रवेश रद्द करना जैसे कठोर निर्णय लेने का सुझाव दिया गया है। लेकिन इससे पहले माता-पिता और छात्रों की काउंसलिंग की जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि छात्रों के प्रति दया और क्षमा का भाव रखना चाहिए।