मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामैं उनके लिए बेकरार हो जाऊं

मैं उनके लिए बेकरार हो जाऊं

वो निगाहों से जो पढ़ ले
तो मैं अखबार हो जाऊं
वो तरसे फिर मेरे लिए
मैं उनके लिए बेकरार हो जाऊं
वो बेचे गर मेरी खुशियां
उन खुशियों की खरीदार हो जाऊं
इश्क करना गुनाह है गर
फिर मैं गुनहगार हो जाऊं
आरजू अब भी यही है मेरी
वो मनाएं मुझे मैं त्योहार हो जाऊं
वो मांगे साथ फिर मेरा
मैं झट से फिर इकरार हो जाऊं
देख जुल्म बगावत कर सकूं
मैं इतनी खुद मुख्तार हो जाऊं
-प्रज्ञा पांडेय मनु
वापी गुजरात

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